विज्ञान के सामाजिक सरोकार
_"वे लोग जो विज्ञान(सिद्धान्त) के बिना व्यवहार में जुट जाते हैं उस नाविक की तरह होते हैं जो बिना नियंत्रण वाले और बिना दिशा वाली कुतुबनुमा के जहाज में सफर कर रहा है, और जिसे इसका जरा भी भरोसा नहीं कि वह कहां जा रहा है।" ---लियोनार्दो द विंची विज्ञान और तकनीकी के विकास का मुख्य उद्देश्य जीवन को अधिक सुखमय बनाना है। साथ ही समाज को एक नए दृष्टिकोण भी प्रदान करना जो लोगों में तर्क करने की शक्ति प्रदान करे। इस तरह देखा जाय तो विज्ञान का गहरा सामाजिक सरोकार है। लेकिन हमारे देश और समाज में एक अजीब विरोधाभास दिखाई दे रहा है । एक तरफ विज्ञान की उपलब्धियों का तेजी से प्रसार हो रहा है तो दूसरी तरफ के जनमानस में वैज्ञानिक नजरिये के बजाय अंधविश्वास, कट्टरपंथ, पोंगापंथ, रूढ़ियों और परम्पराएँ आजादी के 70 वर्षों के बाद भी हमारे समाज के अंशतः व्याप्त है जो कभी-कभी हमे सोचने पर मजबूर कर देता है। ...