देश की प्रगति में क्षेत्रीय भाषाओं का अहम योगदान है। पूर्व में मैथिली सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान को लेकर काफी कार्य हुए हैं। वर्तमान में मैथिली में विज्ञान को लेकर काफी कार्य करने की जरूरत है। ये बातें डीवाआई पाटिल विश्वविद्यालय, पुणे के कुलपति प्रभात रंजन झा ने कही। वे सोमवार को विज्ञान प्रसार व सीएम साइंस कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय ओरिएंटेशन कम वर्कशॉप के दूसरे दिन समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मिथिवा गुरु-शिष्य परंपरा से परिचित है, इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। कुलपति ने कहा कि वर्तमान में संवाद का माध्यम बदल गया है। विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन को इस वर्कशॉप के माध्यम से जानने की कोशिश की गई है। वर्कशॉप से निकले निष्कर्ष से ब्रेन-टू-ब्रेन संवाद स्थापित करने की कोशिश की जाएगी। प्रो. रंजन ने कहा कि भाषाएं लिमिट करने की चीज नहीं है। बच्चे जिनती भाषाओं पर पकड़ बनाएं, उनका मानसिक विकास उतना ही होगा। आज के दौर में मातृभाषाओं की परिभाषा भी बदल गई है। ‘हैंड्स ऑन साइंस फॉर टीचर्स इन मैथिली लैग्वेंज’ विषय पर विचार रखते हुए कामेश्वर सिंह द...
"Knowledge is Power"