गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस हम भारतवासियों को एक मौका देता है उन वीर सपूतों को याद करने का, जिनकी वजह से आज हम स्वतंत्रतापूर्वक जीवन जी रहे हैं. इन दिवसों को मनाने का मतलब सिर्फ संदेशों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करना मात्र नहीं है अपितु ये वो अवसर है जब हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक मजबूत, शिक्षित, आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र सौंपने की दिशा में अपने प्रयासों की समीक्षा कर सकें. ये वही दिवस है जिस दिन फिजाओं में सिर्फ राष्ट्रभक्ति गीतों की धुन ही न बजे बल्कि हम सभी देशवासियों के हृदय में भी राष्ट्र प्रेम की धुन बजनी चाहिये.
विशाल लोकतान्त्रिक देश होने का दंभ भरने मात्र से कुछ नहीं होगा. बल्कि हमे देश के वर्तमान राजनीतिक हालातों की गंभीरता पर भी ध्यान देना होगा. लोकतन्त्र के चारों स्तंभों के कार्य प्रणाली में आए ह्रास को गंभीरता से लेते हुए सुधार की दिशा में बढ़ना होगा. राजनीतिक दलों को भी येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने की जिद्द छोड़नी होगी तभी स्वस्थ लोकतन्त्र की कल्पना साकार हो सकेगी.
संविधान निर्माताओं की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में अभी भी बहुत सारे कार्य करने बांकी हैं. राज्य को अधिक लोककल्याणकारी बनाने हेतु सरकारों के प्रयास की जहां एक ओर सराहना होनी चाहिये वहीं बेवजह संविधान के साथ छेड़छाड़ गंभीर चिंता का विषय है. संवैधानिक पदों पर सुशोभित व्यक्तियों को सदैव अपनी मर्यादाओं का भान होना चाहिए.
90 करोड़ से अधिक मतदाताओं वाले इस देश में लोकतन्त्र को अक्षुण्ण बनाए रखने की जिम्मेवारी निर्वाचन आयोग के पास है. निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने की दिशा में किए गए प्रयास सराहनीय है. किन्तु अभी भी कई चुनौतियाँ मुंह बाए खड़ी है. EVM पर सवाल उठाए जा रहे हैं, चुनावी खर्चे का प्रश्न है, आपराधिक छवि के उम्मीदवार, बड़ी पार्टियों द्वारा खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला आदि ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ठोस कदम उठाने होंगे. साथ ही निर्वाचक सूची को शुद्ध करने की चुनौती भी बड़ी है.
न्यायपालिका का कार्यपालिका एवं विधायिका के काम काज में हस्तक्षेप भी यह साबित करता है कि हमारी कार्यपालिका एवं विधायिका अपने दायित्वों का निर्वहन उचित ढंग से नहीं कर पा रही हैं.
अतः हम सभी तभी एक स्वतंत्र और गणतंत्र देश के निवासी माने जाएंगे जब यहां का हरेक नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करेगा. जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप सरकार के निर्णय होने चाहिए न कि सरकार अपनी इच्छाओं का बोझ जनता पर थोप दे.
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अंत में सभी को 70वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जय हिंद! 🇮🇳
©रवि रौशन कुमार
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