2020 तक विकसित भारत का सपना हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलम साहब ने देखा था. आज भले ही वो हमारे बीच नही हैं किन्तु उनके बताये गये विकास का खांका अनुकरणीय है. उनके द्वारा कहा गया था कि सीमित संसाधनों के बावजूद विवेकपूर्ण क्रियान्वयन के द्वारा हम देश की मौलिक समस्याओं से निपट सकते हैं. बिहार, झारखण्ड, ओड़िसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे समस्याग्रस्त राज्यों को दरकिनार कर देश के विकास की कल्पना करना मुश्किल है. इन राज्यों में गरीबी और बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है. यहाँ मौजूद संसाधनों का उपयोग अन्य राज्यों के विकास में हो रहा है लेकिन अपने राज्य की हालत ख़राब है. चाहे वो कोयला हो, लौह अयस्क हो, वन संसाधन हो अथवा मानव संसाधन. इन पिछड़े राज्यों में प्रतिभा की कमी नहीं है. आज गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली के विकास में इन पिछड़े राज्यों के मानव संसाधन की बड़ी भूमिका है. केंद्र सरकार की योजनाओं में इन राज्यों के लिए अतिरिक्त प्रावधान का आभाव आज भी दीखता है. जबकि इन राज्यों में उद्योग, परिवहन, सेवा जैसे तमाम क्षेत्रों के विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. बिहार में जल संसाधन का समुचित प्रबंधन कर यहाँ के कृषि को उन्नत बनाया जा सकता है. झारखण्ड में बेरोजगार युवाओं के लिए बड़े स्तर पर नियोजन की दरकार है. ओड़िसा जैसे तटीय राज्य गुजरात से किसी मायने में कम महत्व नही रखते हैं. अतः यहाँ निर्यात संवर्धन केंद्र और अन्य विदेश व्यापार से सम्बंधित योजना क्रियान्वित की जा सकती है. इन राज्यों में वन संसाधनों और मौजूद ऐतिहासिक स्थल का समुचित देखभाल किया जाय तो पर्यटन की भी व्यापक सम्भावना है. उपर्युक्त तमाम मुद्दों के अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था एक अहम् चुनौती है. अतः अगर हमें विकसित भारत बनाना है तो देश की मुलभूत समस्याओं को दूर करने पर जोड़ देना होगा. साथ ही विकास के दौर में पिछड़ रहे राज्यों के साथ दलगत भावनाओं से उपर उठते हुए सहयोगात्मक रवैया अख्तियार करना होगा.
@रवि रौशन कुमार
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