भारत में स्किल इंडिया, स्टार्ट अप, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत बड़े ही जोर-शोर से की गयी है. इनमे से कुछ के तो प्रभाव भी दिखने लगे हैं. लेकिन इन योजनाओं से यथा शीघ्र रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ऐसा सोचना जल्दबाजी होगी. क्योंकि आज भी भारत की एक बड़ी आवादी गाँव में रहती है. जहाँ कृषि में जोखिम को देखते हुए निवेश कम है तो वही किसान अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं. और जब उनके बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो कई बार अवसर की सीमित उपलब्धता के चलते वे बेरोजगार ही रह जाते हैं. इस दिशा में स्किल इंडिया प्रोग्राम लाभप्रद तो है. लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवकों के लिए अधिक उपयोगी साबित नही होगी. जरुरत है स्कूली स्तर पर व्यावसायिक और व्यावहारिक शिक्षा देने की ताकि विद्यालय छोड़ने के तुरंत बाद बच्चे अपने पसंदीदा क्षेत्र को चुन सके. घिसी-पीटी पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था में बच्चे रट्टू-तोता बन कर अपने ज्ञान के दायरे को बढा नही पा रहे हैं. चीन और जापान की शिक्षा व्यवस्था से सीख लेते हुए हमें प्रारंभिक और माध्यमिक स्तर पर नियमित रूप से प्रायोगिक कक्षा लगाने की जरुरत पर जोड़ देना चाहिए. उन्हें नये-नये प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. विद्यालयों में धुल फांकते प्रयोगशालाओं को तंदुरुस्त करना होगा. बच्चों को प्रायोगिक गुण विकसित करने पर बल देने की जरुरत है. जिससे उनमे नवाचारी प्रवृति का स्वाभाविक विकास होगा.
व र्तमान समय में जन-संचार माध्यम एक बहुत ही सशक्त माध्यम है जिसका बच्चों के मन- मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है. रेडियो, टीवी, अखबार, पत्रिकाएं, कंप्यूटर, आदि ऐसे माध्यम हैं जिनके द्वारा कोई भी बात प्रभावपूर्ण तरीके से बच्चों के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती है. इन माध्यमों का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ता है. जैसे इन माध्यमों के द्वारा विभिन्न प्रकार के मनोरंजक, सूचना व ज्ञान आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. एक ओर जहां इन कार्यक्रमों से बच्चों में अपने आस-पास की दुनियां के विषय में समझ बढ़ती है वहीं कभी-कभी ये उन्हें संकीर्णता की ओर भी ले जाते है. साथ ही आवश्यकता से अधिक समय इन माध्यमों को देने से शारीरिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अतः यह अति अवश्यक है कि बाल-विकास में जन-संचार माध्यमों का न्यायसंगत तथा विवेकपूर्ण प्रयोग किया जाय. इस आलेख में बाल-विकास के संदर्भ में जन-संचार माध्यमों के प्रभावों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है. जन-संचार माध्यम : एक परिचय जन-संचार (Mass-Communic...
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