सरकारी विद्यालयों के लिए नये सिरे से जवाबदेही तय हो
सुविधाओं के मामले में सरकारी विद्यालय निजी विद्यालयों से कम नही हैं. सरकारी शिक्षकों का वेतन निजी विद्यालयों के शिक्षकों से अधिक है. सर्व शिक्षा अभियान से पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाता है. अद्यसंरचना भी अब तंदरुस्त हो चुकी है. छात्र-छात्रों के लिए मुफ्त किताबें, पोशाक, छात्रवृति, पेयजल, स्वच्छता जैसे आधारभूत सुविधा उपलब्ध है. इसके बाबजूद सरकारी विद्यालय में पढाई का स्तर बहुत नीचे है. आज जरुरत है सरकारी विद्यालयों के लिए नये सिरे से जवाबदेही तय करने की. निजी विद्यालयों के तर्ज़ पर अनुशासन को अनिवार्य बनाना होगा. अनुशासन का पाठ छात्र और शिक्षक दोनों को पढ़ाने की जरुरत है. शिक्षा राजनीति की शिकार होती जा रही है. ऐसे में आवश्यक है कि शिक्षक राजनीति से दूर रहें और पठन-पाठन पर ध्यान लगायें. छात्र-शिक्षक सम्बन्ध भी सवालों के घेरे में है. दिनानुदिन इस सम्बन्ध में गिरावट आ रही है. अतः समाज में शिक्षण संस्थान और शिक्षकों के प्रति आस्था और सम्मान का भाव जगाना नितांत जरुरी है.
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