लोकतान्त्रिक देशों में खासकर भारत जैसे देश में जनता को विरोध करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। विभिन्न माध्यमों से हम सरकार और उससे जुड़ी एजेंसियों की मुखालफत करते रहते हैं, कमियां गिनाते हैं, विरोध प्रदर्शन करते हैं। कुछ हद तक तो ये सब ठीक है परंतु ये हमारी संस्कृति का हिस्सा न बने तो बेहतर। क्योंकि सिर्फ अधिकारों को प्राप्त करने की चाहत उचित नहीं, हमें अपने कर्तव्यों का भी आभास होना चाहिये।
सरकारी योजनाओं में व्याप्त विसंगतियों के लिये जिम्मेवार तत्व का मनोबल बढ़ाने का काम भी हम और आप जैसे लोग ही तो करते हैं। किसी की हकमारी करके खुद को लाभान्वित करने की चाहत अर्थात स्वार्थ के आवेश में हम दूसरों के अधिकार का हनन कर बैठते हैं।
जैसे हम स्वच्छता की बात तो करते हैं परन्तु उसके लिये आगे बढ़कर प्रयास नहीं करते। सरकार और उसके मुलाजिमों से अपेक्षा रखते हैं कि वो इस काम को करें। क्या ये हमारी जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिये कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वच्छता को तरजीह दें। सड़कों पर कूड़ा फेकना, यत्र-तत्र थूकना, दीवारों पर पोस्टर चिपकाना, तालाब और नदियों में गंदगी फैलाना, खुले में शौच आदि ऐसी घटना है जिसे सामान्य दिनचर्या का हिस्सा मानकर हम सभी नजरअंदाज कर देते हैं।
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन हम खुद करते हैं और किसी दुर्घटना के बाद सरकार और प्रशासन को दोषी ठहराते हैं, सड़क जाम और तोड़-फोड़ करते हैं।अब बात धार्मिक उन्माद की करते हैं, एक ओर समाज में सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं दूसरी और विभिन्न धार्मिक आयोजनों के बहाने एक-दूसरे के धर्म की बुराई करते हैं जो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ देता है। रामनवमी या मुहहर्र्म के नाम पर एक दूसरे धर्म के लोगों के प्रति हिंसक हो जाना कहाँ तक उचित है?
ऐसे ढेरों उदाहरण दिये जा सकते हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि हम नागरिकों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है।
हम अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश में शांति और स्थिरता का माहौल कायम कर सकते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति दूसरे को शिक्षित करे, एक धनी व्यक्ति दूसरे गरीब का सहारा बने, स्वरोजगार को बढ़ावा मिले, भ्रष्टाचार के प्रति असहिष्णुता दिखानी होगी, सूचना के अधिकार का विवेकपूर्ण व सार्थक प्रयोग आदि के माध्यम से उपर्युक्त लक्ष्य हासिल करना आसान हो जायेगा।
हम मानते हैं कि सरकार से हमारी अपेक्षाएं जुडी होती परन्तु हमे अपने कर्तव्यों के प्रति भी निश्चित रूप से उत्तरदायी होना चाहिये।
@Ravi Raushan Kumar
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