मिथिलाक्षर शिक्षा अभियान के वेबसाइट से साभार
मिथिलाक्षर लिपिक संवर्धन और संरक्षणक लेल एक रिपोर्ट बनेबाक लेल वर्ष २०१८
मे एकटा समितिक गठन कयने छल। समिति एमएचआरडी के अपन रिपोर्ट सौंपलथि जाहिमे मैथिली लिपिक संवर्धन आ संरक्षणक लेल
कैकटा सिफारिश कयल गेल।
मंत्रालय मे रिपोर्टक जांच कयल गेल आ समितिक सिफारिश सभ मे सँ किछु पर तत्काल कार्रवाई करबाक निर्णय लेल गेल अछि:
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कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय आकि ललित नारायण
मिथिला विश्वविद्यालय मे सँ कोनो एकटा मे दरभंगा मे एकटा स्क्रिप्ट आओर पांडुलिपि
केंद्र स्थापित करब।
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भारतीय भाषा सभक प्रौद्योगिकी विकास (टीडीआईएल) द्वारा मिथिलाक्षर के यूनिकोड लिपि सं संबंधित कार्यक
शीघ्र पूरा होयब।
मिथिलाक्षर/तिरहुता व्यापक सांस्कृतिक
मिथिलाक लिपि अछि। ई लिपि एकटा अत्यंत प्राचीन लिपि मे सं एक अछि । मिथिलाक्षार १०म् शताब्दी ई. धरि अपन वर्तमान आकार मे आबि गेल छल। मिथिलाक्षरक प्राचीनतम
रूप ९५० ई. के सहोदरा पत्थरक शिलालेख मे भेटैत अछि।
बाद मे, चंपारण सं देवघर धरि
मिथिला मे लिपिक उपयोग कयल गेल अछि। एहि लिपिक उपयोग पाछां १०० वर्ष सं घटि रहल
अछि आ एहिलेल हमर सभक संस्कृतिक क्षय भ' रहल अछि किएकि वर्तमान मे एकर अपन लिपिक उपयोग नहि कयल जा रहल अछि, मैथिली भाषा के संविधान मे संवैधानिक दर्जा देलाक बाबजूद।
समग्र रूप सं विकसित करबाक लेल एहि सभ पहलु के ध्यान मे रखैत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय मैथिली
भाषा आओर ओकर लिपि के संवर्धन आ संरक्षणक
लेल एक रिपोर्ट बनयबाक लेल वर्ष २०१८ मे एकटा चारि सदस्यीय समितिक गठन कयने छल।
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बहुत बहुत धन्यवाद भारत
सरकार आ माननीय प्रकाश जावड़ेकर जी कें । मिथिलाक धरोहर लिपिक रक्षार्थ उठाओल गेल एहि उपकारक लेल मिथिलावासी सदति ऋणी
रहताह।
जय जानकी जय मिथिला जय मैथिली
जय जानकी जय मिथिला जय मैथिली
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