चुनाव से उम्मीदें

१७ वीं लोकसभा के लिये चुनाव हो रहे है. एक बार फिर नेताओं द्वारा आम जनता को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए सारे दांव-पेंच का सहारा लिया जा रहा है. देश का प्रधान मंत्री कौन होगा इस बात पर मंथन हो रहे हैं. कोई व्यक्ति विशेष का महिमामंडन करने में व्यस्त है तो कोई धर्म-जाति-सम्प्रदाय के नाम पर देश को बाँटने पर तुला है. मैं पूछना चाहता हूँ इन नेताओं से कि, क्या आजादी के ७२वें वर्ष में प्रवेश करने के बाद भी हम परिपक्क नही हुए हैं. अभी भी बचकाने हरकतों से देश के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश को शर्मसार करने पर अमादा हैं. आखिर क्यों ? चंद दिनों की राजसी सुख के लिए देश को तोड़ने के लिए क्यों तैयार हैं आप सब? देश को एक मशीहा की जरुरत नहीं है. देश को जरुरत है शिक्षित, सशक्त और भेदभाव रहित समाज की. क्या आप दे पाएंगे ये सब?

सांसदों से मेरी अपील :-
स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने वाला सांसद चाहिए हमें....प्रधान मंत्री के हाँ में हाँ मिलाने वाले ढोलबज्जों की जरुरत नहीं है. जरुरत है संसद में अपने क्षेत्र की समस्याओं पर आवाज उठाने की, जरुरत है देश के लिए अत्यंत आवश्यक मुद्दों पर लंबित कानूनों को पास करवाने की.
लेकिन नहीं, आप तो तमाम संसदीय मर्यादों को ताक पर रख संसद को हंगामो की भेंट चढ़ा देते हैं. दलीय भावना और इर्ष्या-द्वेष की ज्वाला में लोकतंत्र को स्वाहा करने पर उतारू हैं. प्रिय सांसदों आप इस देश की लोकतंत्र के तारणहार हैं. आपसे देश को उम्मीदें हैं. आप सशक्त बनिए. आप किसी राजनितिक दल के सत्ता प्राप्ति का साधन हो सकते हैं, लेकिन ये ध्यान रखिये आप एक बड़े जन समूह की आवाज़ भी हैं. अपनी शक्ति को पहचानिए.
चुनाव के दिनों में तो आप सब अपने मतदाताओं के सामने गिड़गिड़ाते हैं. हाथ जोड़ते हैं पैर पड़ते हैं. सिर्फ चुनाव तक ही न. जीत जाने के बाद कितनी बार इन दुखियारी जनता का दुःख बाँटने आते हैं. एक बार मुड़ कर देख लिया कीजिये अपने संसदीय क्षेत्रों में. अभी भी हमारे भारत को INDIA बनने में १०० वर्ष लगेंगे. किन्तु ये काम भी आपसे ही संभव हैं. अपने क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से लड़ना पड़े तो लड़ जाइये.

दरभंगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का उदहारण लिया जाय तो हम पाते हैं की पिछले 20 वर्षों में यहाँ के जितने भी सांसद हुए हैं सबने धर्म और जाति की राजनीति के अलावे अभी तक कुछ नही किया है. इस क्षेत्र में करने के लिए बहुत कुछ है. उद्योग एवं कृषि के विकास के लिए अपार संभावनाएं हैं. बंद पड़ी मीलों की शुरुआत करना, मखाना और आम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास करना एवं इन पर आधारित खाद्य प्रसंष्करण उद्योग की स्थापना, दरभंगा में राज्य स्तरीय स्टेडियम का निर्माण, बाढ जैसे आपदा से बचाव के लिए ठोस कदम उठाना, दरभंगा नगर के नियोजित विकास के लिए प्रयास करना, सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्य करना, ग्रामीण क्षेत्रों के भूमिहीन-खेतिहर समाज के लिए आजीविका के ठोस उपाय करना, शहर और गाँव दोनों में जल-संकट के स्थाई समाधान की दिशा में कार्य करने सहित सैकड़ो मुद्दे मुह बाए खड़ी है. भावी सांसदों से यही अपेक्षा है की वे मुँहचोर न बने अपितु अपने क्षेत्र के विकास के लिए कटिबद्ध हो कर उपर्युक्त मुद्दों पर कार्य करें.
आपकी योजना कितनी कारगर है ये तो मायने रखता ही है साथ ही साथ उस योजना को क्रियान्वित करने वाले लोग कितने प्रतिबद्ध हैं ये भी महत्वपूर्ण है. अतः आप सभी भावी सांसदों से यही उम्मीद है की आप पार्टी के लोगों के नाम की चालीसा पढने के बजाय अपने क्षेत्र के विकास के लिये काम करके देखिये. बहुत सुकून मिलेगा.....सच में.
-------------------------------------------------------------------
यह आलेख पूर्णतः मौलिक है. पाठकों से आग्रह है कि, कृपया इस पोस्ट को कॉपी-पेस्ट न करें. सिर्फ SHARE करें.
(c) Ravi Raushan Kumar

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में जन-संचार माध्यमों की भूमिका

प्लास्टिक वरदान या अभिशाप

पर्यावरण अध्ययन के प्रति जन चेतना की आवश्यकता