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शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सूचना एवं संचार तकनीकी का प्रयोग : एक अनुभव

                विभिन्न आई.सी.टी. (सूचना एवं संचार तकनीकी) के माध्यम से मैंने न सिर्फ बच्चों के लिए पाठ तैयार किए हैं बल्कि स्वयं के वृत्तिक विकास में भी मैनें आई.सी.टी. का भरपूर प्रयोग किया है। सम्प्रेषण के तरीकों से लेकर नए-नए साधनों का समावेशन करने में सक्षम हुआ। यूँ तो कम्प्यूटर का ज्ञान विद्यार्थी जीवन से ही था परन्तु 2013 में जब मेरी नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्र के एक मध्य विद्यालय में हुई तो मेरे लिए संभावनाओं का द्वारा खुल गया। बच्चों के लिए टी.एल.एम. (शिक्षण अधिगम सामग्रियाँ) निर्माण में मुझे बेहद रूचि रही है। 2015 में जब मैंने अपना स्मार्टफोन खरीदा तब मुझे मुक्त शैक्षणिक सामग्रियों के माध्यम से बच्चों के लिए और भी प्रभावी शिक्षण विधियों एवं टी.एल.एम. बनाने के तरीकों को सीखा। सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), दरभंगा में दो वर्ष बिताने का अवसर मिला; यहाँ आई.सी.टी. का शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुचारू प्रयोग करना सीख पाया। 

        इसी बीच edx.org, UK-Aid एवं एस.सी.ई.आर.टी. पटना के संयुक्त तत्वावधान में एक मैसिव आॅनलाईन ओपेन कोर्स (MOOC) का संचालन प्रारंभ हुआ। मुक्त शैक्षिक संसाधनों के माध्यम से अध्यापक शिक्षा का समृद्धिकरण नामक इस आॅनलाईन ओपेन कोर्स को मैंने पूरी तन्मयता से पूर्ण किया। इस कोर्स में पंजीकृत अपने सभी 97 सहयोगी शिक्षकों के लिए मेरे द्वारा प्रत्येक सप्ताह एक उन्मुखीकरण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता था। डायट, दरभंगा के तात्कालीन प्राचार्य डाॅ. सुभाष चंद्र झा के दिशा-निर्देश एवं व्याख्याता श्री बसंत कुमार चैौधरी की देख-रेख में हम सभी प्रशिक्षु शिक्षकों ने मुक्त शैक्षिक संसाधनों पर आधारित एक परियोजना पर भी कार्य किया। इन परियोजना कार्यों से प्रभावित होकर UK-Aid एवं TESS-India द्वारा मुझे एस.सी.ई.आर.टी., पटना में प्रस्तुतीकरण के लिए आमंत्रित किया गया। यहाँ से मेरा रूझान आई.सी.टी. की तरफ खूब बढ़ चुका था। एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण-2017 के दोनों फेज में मैं मास्टर ट्रेनर था। दरभंगा जिला के 300 शिक्षकों (Field Investigators) को प्रशिक्षण देने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा।

    #दैनिक हिन्दुस्तान, दिनांक 04.02.2021

               वर्ष 2018-19 में कई आॅनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिला। एस.सी.ई.आर.टी., पटना एवं विश्व बैंक की पहल से संचालित ई-पत्रिका ई-संवादमें मेरे आलेख प्रकाशित होते रहे हैं। 

                  ई-शिक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य भर में प्रथम फेज में प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं अपने शिक्षक साथियों को भी इस कोर्स को करने के लिए प्रेरित किया; परिणामस्वरूप द्वितीय चरण में बिहार के सबसे अधिक पंजीकृत शिक्षकों की संख्या के मामले में दरभंगा को दूसरा स्थान मिला। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आई.सी.टी. का समावेशन नामक इस कोर्स में पंजीकृत सभी प्रशिक्षुओं के लिए प्रत्येक सप्ताह में एक सम्पर्क कक्षा का भी आयोजन किया जाता था, जिसमें मेरे द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता था।

               प्रशिक्षण के बाद अब समय था इसके क्रियान्वयन का। मैंने अपने मोबाईल एवं लैपटाॅप की मदद से प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पाठ समझाना शुरू किया। बच्चे रूचिपूर्वक इन माध्यमों से सीखने लगे हैं। मेरा ध्यान हमेशा से ऐसे संसाधनों के सृजन पर लगा रहता था जिसका प्रयोग अन्य शिक्षक भी कर सकें। यथा-कहानी एवं कविताओं का आॅडियो-विजुअल स्वरूप में परिवर्तन। इस कड़ी में मैंनं कई मुक्त शैक्षणिक संसाधनों का भी सृजन किया है जो दुनियां भर के शिक्षकों के लिए आॅनलाईन मुफ्त उपलब्ध हैं। NROER, edx, academia, e-shikshan, teachers of bihar, teachers of india.org, YouTube आदि पर मैं नियमित रूप से शैक्षिक संसाधन अपलोड करता रहता हूँ। मेरा अपना एक यू-ट्यूब चैनल भी है; जिसका नामकरण बच्चों ने ही किया है। उन्होंनंे इस चैनल का नाम रखा ; रवि सर की पाठशाला। आज 4000 से अधिक बच्चे और शिक्षक इस चैनल से जुड़े हुए हैं। मैं भी उनकी जिज्ञासाओं को ध्यान में रखते हुए विडियोज अपलोड करता रहता हूँ।

           

               वर्ष 2019 में उन्नयन बिहार कार्यक्रम के तहत हमारे विद्यालय में स्मार्ट क्लास प्रारम्भ हुआ। अब स्मार्ट टेलीविजन की सहायता से बच्चों को पढ़ाना और भी सरल हो गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे विद्यालय में इन सब गतिविधियों के कारण बच्चों की शत् प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की जाने लगी है।

               शून्य निवेश पर आधारित संसाधनों के विकास के क्रम में सूचनाआंे के आदान-प्रदान के लिए मैंने अपने विद्यालय का एक ब्लाॅग बनाया है। इस ब्लाॅग के माध्यम से अभिभावक एवं ग्रामीणों को विद्यालय की गतिविधियों से अवगत होने का मौका मिलता है। बच्चे यहाँ से संकुल की ई-पत्रिका को भी डाउनलोड कर लेते हैं। स्कूल से जुड़ी हुई जानकारी, शिक्षक प्रोफाईल, नामांकन प्रपत्र आदि घर बैठे प्राप्त कर रहे हैं। इस Blog का पता है- uhsmadhopatti.blogspot.com । आगामी दिनों में इस ब्लाॅग के माध्यम से बच्चों की उपस्थिति से संबंधित जानकारी भी अभिभावकों तक पहुंचाया जाएगा। कोरोना महामारी के इस दौर में ऐसे माध्यमों से बच्चों को लाभ मिल रहा है।

               जुलाई 2020 से मैंनंे अपने संकुल के शिक्षकों एवं बच्चों के सहयोग से एवं उनके लिए एक मासिक ई-पत्रिका की भी शुरूआत की है, जिसका नाम है जिज्ञासा। अब तक इसके 7 अंक प्रकाशित हो चुके हैं। अपने पत्रिका में बाल सम्पादक एवं बाल संवाददाताओं को भी जोड़ने की योजना है।

               बच्चों को आॅनलाईन शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए मैं फेसबुक एवं यू-ट्यूब जैसे प्लेटफाॅर्म के अलावा टीचर्स आॅफ बिहार: द चेंज मेकर्स नामक प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी पर भी विडियोज एवं अन्य शैक्षणिक सामग्रियां अपलोड करता हूँ।

               मेरे द्वारा बच्चों को साईबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के द्वारा साईबर बुलिंग, साईबर फिशिंग, हैकिंग आदि विषयों पर आधारित विडियो दिखाकर उन्हें जागरूक करता हूँ। साईबर सुरक्षा से संबंधित विडियोज के लिए Eckovation नामक संस्था के प्रति हम अपना आभार प्रकट करते हैं। बच्चों को ईमेल बनाना एवं विभिन्न सोशल साईट्स, पेज, पोर्टल आदि के लिए मजबूत पासवर्ड बनाने के बारे में बताता हूँ। सोशल मिडिया साईट्स का सावधानी से प्रयोग करने की सलाह देता हूँ। बच्चे भूलवश अगर कोई निजी जानकारी हमारे चैनल पर कमेन्ट बाॅक्स में लिखते हैं तो मैं उन्हें Hide कर देता हूँ एवं उन्हें दुबारा ऐसा नहीं करने की सलाह देता हूँ।

               विश्व जनसंख्या दिवस 2020 के अवसर मैंने एक राष्ट्रीय आॅनलाईन विज्ञान क्विज का आयोजन किया, जिसमें देशभर के 600 से अधिक बच्चों ने आॅनलाईन माध्यम से अपना पंजीकरण करवाया। गूगल के विभिन्न सुविधाओं यथा- Google Doc., Google Form, Google Slide, Google Meet, Google Class Room, Google Ad-On आदि के प्रयोग से इन कार्यक्रमांे को और भी प्रभावी ढ़ंग से प्रबंधित कर पाता हूँ।

             शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित ऑनलाइन निष्ठा (NISHTHA) प्रशिक्षण में पंजीकरण एवं कोर्स को पूरा करने में अपने शिक्षक साथियों की मदद करने के लिए मेरे द्वारा ट्यूटोरियल विडियो बना कर यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया। इसके अलावा विभिन्न वॉटस्एप ग्रुप एवं Telegram ग्रुप के माध्यम से भी प्रशिक्षु शिक्षकों की मदद करता रहा। इस दौरान बनाए गए tutorial videos को देश भर से लाखों शिक्षकों ने देख कर diksha App के सफल संचालन के तरीकों को सीखा। 

                 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की Inspire -MANAK योजना के तहत अपने विद्यालय सहित प्रखंड के सभी विद्यालयों से बच्चों के आइडिया को Inspire पोर्टल पर अपलोड करवाया। दरभंगा जिला में सबसे अधिक 23 बच्चे हमारे प्रखंड से चयनित हुए हैं। इस पूरी प्रक्रिया में मेरे ICT के ज्ञान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। 

               अभी तो बस शुरूआत है। मेरा सपना है कि बिहार के सभी शिक्षक आई.सी.टी. के प्रयोग में दक्ष हो जाएं; एवं शिक्षण, अधिगम एवं मूल्यांकन प्रक्रिया में इन सूचना एवं संचार तकनीकों का प्रभावी ढ़ंग से उपयोग कर सकें। स्थानीय भाषा में आॅनलाईन गुणत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी मैं प्रयासरत् हूँ। आई.सी.टी के माध्यम से शिक्षकों के वृत्तिक विकास के लिए प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रम की रूपरेखा पर भी विचार कर रहा हूँ। इसके अलावा कई और योजनाएं हैं जिन्हें क्रियान्वित करने के लिए आगामी वर्षों में कार्य किया जाना है।

 

रवि रौशन कुमार, शिक्षक,

राजकीय उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, माधोपट्टी, केवटी,

जिला-दरभंगा (बिहार)

Email:- info.raviraushan@gmail.com


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  1. सराहनीय प्रयास है ।निरंतर आगे बढ़ते रहने की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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