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STRR और NTRR क्या है? आइये विस्तार से जानें।

 नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को 29 जुलाई 2020 को अपनाया गया था, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सभी छात्रों के लिए समान पहुंच के प्रावधान की परिकल्पना की गई है। पिछले डेढ़ साल के दौरान, दुनिया भर के स्कूलों ने प्रचलित COVID 2019 महामारी में शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कई नवाचारी प्रयोगों को अपनाया है।

गुणवत्ता, समावेशी प्रथाओं और स्थिरता से संबंधित स्कूली शिक्षा का व्यापक प्रसार करने के लिए, शिक्षक पर्व का आयोजन किया गया, जिसमें सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के शिक्षकों ने महामारी के दौरान और बाद में अपने स्कूलों द्वारा अपनाई गई विभिन्न नवीन प्रथाओं को साझा किया। नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों दोनों ने पहल की सराहना की।

उत्साहजनक प्रतिक्रिया के आलोक में नवाचारी प्रयोगों को बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय शिक्षक संसाधन कोष (एनटीआरआर) और राज्य स्तर पर राज्य शिक्षक संसाधन कोष (एसटीआरआर) का निर्माण किया जा रहा है। टीआरआर का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना और शिक्षकों के योगदान को उजागर करना है ताकि वे अपने पेशे पर गर्व कर सकें और अपने-अपने राज्यों में कई शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकें। इसका उद्देश्य शिक्षकों की अच्छी पहलों को पहचानना और उनकी सराहना करना भी है।

एक समूह में समान स्तर के प्रतिभागियों की पीयर-टू-पीयर लर्निंग या आपसी शिक्षा पूरे समूह के कौशल को लगातार सुधारने में मदद करती है। पीयर लर्निंग विशेष रूप से नवाचारों को साझा करने के लिए उपयुक्त है। एक-दूसरे के अनुभवों से सीखते हुए, शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार करने के लिए तथा जरूरी संसाधनों को एकत्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।


समय-समय पर और नियमित तौर पर नवाचारों को साझा करना सभी छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता की दिशा में वांछित प्रोत्साहन प्रदान करेगा। इससे सभी शिक्षकों, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों के शिक्षकों को अपनी शिक्षण शैली में सुधार करने में मदद मिलेगी। हमारे विशाल राष्ट्र में सुविधाएं समान रूप से वितरित नहीं हैं। इस तरह के नवाचार के प्रसार से संसाधन की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी; अन्य शिक्षकों के बीच सर्वोत्तम शिक्षण प्रक्रियाओं का प्रसार करने के लिए पियर टू पियर लर्निंग की सुविधा प्रदान करना, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना।

टीआरआर दस विषयों के शिक्षकों से लैस होगा जो एनपीई 2020 के नीतिगत उद्देश्यों के साथ संरेखित होंगे, अर्थात् (1) प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा - सीखने की नींव, (2) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता - सीखने के लिए एक तत्काल और आवश्यक शर्त , (3) ड्रॉप-आउट दरों को कम करना और सभी स्तरों पर शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना, (4) स्कूलों में पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र - सीखना समग्र, एकीकृत, आनंददायक और आकर्षक होना चाहिए, (5) शिक्षक, (6) समान और समावेशी शिक्षा - सभी के लिए सीखना, (7) स्कूल परिसरों / समूहों के माध्यम से कुशल संसाधन और प्रभावी शासन, (8) स्कूली शिक्षा के लिए मानक निर्धारण और प्रत्यायन, (9) शिक्षा में प्रौद्योगिकी - एनडीईएआर, (10) व्यावसायिक शिक्षा और कौशल निर्माण को फिर से तैयार करना।

एक शिक्षक द्वारा एक अभिनव अभ्यास कक्षा में सभी छात्रों को शामिल करता है और शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया को सुखद बनाता है। COVID 2019 महामारी के दौरान कई अभ्यासों को लागू किया गया है। कनेक्टिविटी के मुद्दे को संबोधित करते हुए, घर पर उपलब्ध विभिन्न सामग्रियों का उपयोग कर बच्चों को पढ़ाना, मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय, बाल समाचार पत्रिका, "बेस्ट फ्रॉम वेस्ट" जैसी पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियाँ, स्व-मूल्यांकन, सहकर्मी प्रतिक्रिया और माता-पिता की प्रतिक्रिया सहित नियमित परीक्षाओं के बदले वैकल्पिक मूल्यांकन मॉडल। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए जाने जाने वाले विभिन्न विषयों पर करियर मित्र पोर्टल और अन्य नवीन प्रथाओं को प्रचारित करने की आवश्यकता है, जो देश भर के शिक्षकों को नवाचार करने के लिए प्रेरित करेगा।

STRR/NTRR के शिक्षक एक संसाधन के रूप में काम करेंगे जिससे अन्य स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए मास्टर प्रशिक्षकों की पहचान की जाएगी। एसटीआरआर के शिक्षकों को एससीईआरटी द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा और एनटीआरआर के तहत आने वालों को एनसीईआरटी द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। 

इसमें कोई संदेह नहीं है कि महामारी ने मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है और शिक्षार्थियों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न की है, लेकिन इसने सीखने और सोचने के वैकल्पिक और नवीन तरीके के द्वार भी खोल दिए हैं। स्थानीय उपलब्ध संसाधनों के साथ खतरनाक स्थिति से निपटने के प्रयास किए गए। बिखरे हुए क्षेत्रों में अपनाए गए कई नवाचार, जब टीआरआर के माध्यम से संचित किए जाएंगे तब यह निश्चित रूप से आने वाले समय में राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली को मजबूत करेंगे।


मूल आलेख (English) : ई. प्रभात किशोर 

अनुवाद एवं संपादन : रवि रौशन कुमार

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