25 अप्रैल को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) एक ऐसा वैश्विक मंच है जो मलेरिया जैसी गंभीर और प्राचीन बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने, रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देने, और समग्र रूप से इस रोग के उन्मूलन हेतु वैश्विक एकजुटता का आह्वान करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न देश इस दिन को न केवल एक जागरूकता अभियान के रूप में मनाते हैं, बल्कि इसे इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा और प्रेरणा के रूप में भी देखते हैं। वर्ष 2025 में इस दिवस की थीम है: "Empowering communities, defeating malaria" यानी "समुदायों को सशक्त बनाना, मलेरिया को हराना"। यह थीम इस बात पर बल देती है कि मलेरिया जैसी बीमारी से जंग सिर्फ सरकारें नहीं, बल्कि आम जन और समुदायों की सक्रिय भागीदारी से ही जीती जा सकती है।
मलेरिया क्या है?
मलेरिया एक परजीवी जनित संक्रामक रोग है
जो प्लास्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। यह परजीवी मनुष्यों में मादा
एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। जैसे ही संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति
को काटता है, प्लास्मोडियम परजीवी उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है और लाल रक्त कणों को
संक्रमित करने लगता है। मलेरिया की वजह से बुखार, ठंड लगना,
थकावट, पसीना आना, मांसपेशियों
में दर्द, और गंभीर मामलों में अंग विफलता तक हो सकती है।
अगर समय पर इसका उपचार न हो तो यह जानलेवा हो सकता है।
मलेरिया की वैश्विक स्थिति
हालांकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने
मलेरिया के खिलाफ अनेक उपाय विकसित किए हैं, फिर भी यह बीमारी आज भी
दुनिया के कई देशों में जानलेवा बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2023
की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर लगभग 24 करोड़ लोग मलेरिया से
प्रभावित हुए और करीब 6 लाख से अधिक लोगों की जान इस बीमारी
के कारण गई। अफ्रीकी महाद्वीप मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित है, जहाँ कुल मामलों का 90 प्रतिशत हिस्सा देखा गया है।
इनमें से अधिकांश मौतें छोटे बच्चों की होती हैं, जो इस
बीमारी के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
भारत में मलेरिया की स्थिति और प्रयास
भारत में मलेरिया एक लंबे समय से
सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। हालाँकि हाल के वर्षों में इसके मामलों
में उल्लेखनीय कमी आई है, फिर भी यह बीमारी आदिवासी क्षेत्रों, ग्रामीण इलाकों और पूर्वोत्तर राज्यों में अब भी खतरा बनी हुई है। भारत
सरकार ने 2016 में मलेरिया उन्मूलन के लिए एक व्यापक रणनीति 'National
Framework for Malaria Elimination' शुरू की थी, जिसका लक्ष्य है कि 2030 तक भारत को पूरी तरह
मलेरिया मुक्त किया जाए। इसके तहत हर राज्य और ज़िले को मलेरिया प्रसार की स्थिति
के आधार पर वर्गीकृत किया गया है और उनके अनुसार स्थानीय रणनीतियाँ बनाई गई हैं।
छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,
असम और पूर्वोत्तर राज्यों में यह बीमारी अपेक्षाकृत अधिक पाई जाती
है। हालाँकि शहरी इलाकों में इसके मामले कम हुए हैं, लेकिन
अनियमित मानसून, शहरीकरण और जलभराव जैसी स्थितियाँ मलेरिया
के प्रकोप को बढ़ा सकती हैं।
मलेरिया के लक्षण और पहचान
मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छर के
काटने के 10 से 15 दिन बाद प्रकट होते हैं। सबसे सामान्य लक्षण
है तेज बुखार जो ठंड लगकर शुरू होता है और फिर अत्यधिक पसीना आता है। इसके साथ-साथ
सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट,
उल्टी, दस्त और बदन दर्द जैसे लक्षण भी होते
हैं। गंभीर मामलों में यह बीमारी मस्तिष्क, गुर्दा, यकृत और फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकती है।
आज के समय में त्वरित जांच किट्स (RDTs) के माध्यम से
मलेरिया की पहचान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी संभव हो गई है, जिससे शीघ्र निदान और इलाज संभव है।
रोकथाम और सावधानियाँ
मलेरिया से बचाव, इसके इलाज से
अधिक प्रभावी और सस्ता है। सबसे पहली और ज़रूरी सावधानी है मच्छरों से बचाव। घर
में और आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि वहीं मच्छर पनपते
हैं। नालियों और गड्ढों की नियमित सफाई, पानी की टंकियों को
ढककर रखना, फूलदान और कूलर का पानी हर सप्ताह बदलना जरूरी
है।
व्यक्तिगत स्तर पर दवा-युक्त मच्छरदानी
का उपयोग, खिड़कियों पर जाली लगवाना, मच्छररोधी क्रीम या
स्प्रे का प्रयोग और पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनना उपयोगी सिद्ध होते हैं।
सामुदायिक स्तर पर कीटनाशकों का छिड़काव और सार्वजनिक जल-स्रोतों की सफाई आवश्यक
होती है।
इलाज और चिकित्सा सुविधाएँ
मलेरिया का इलाज आज के समय में उपलब्ध
है और यदि समय पर किया जाए तो रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है। प्लास्मोडियम के
विभिन्न प्रकारों के अनुसार अलग-अलग दवाइयाँ दी जाती हैं, जैसे कि
क्लोरोक्वीन, आर्टेमीसिनिन आधारित संयोजन थेरेपी (ACT)
और प्राइमाक्वीन। भारत सरकार प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्रों पर इन दवाओं को निःशुल्क उपलब्ध कराती है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष
सावधानी बरती जाती है क्योंकि ये मलेरिया के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
इसलिए इन समूहों के लिए नियमित स्क्रीनिंग और प्राथमिक लक्षण दिखते ही इलाज शुरू
करना अनिवार्य होता है।
मलेरिया वैक्सीन: भविष्य की आशा
मलेरिया के खिलाफ वैक्सीन विकसित करना
दशकों से वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती रही है, लेकिन हाल के वर्षों
में इसमें सफलता मिली है। 2021 में WHO ने पहली मलेरिया वैक्सीन RTS,S/AS01 (Mosquirix) को मंजूरी दी थी, जो विशेष रूप से बच्चों में
प्रभावी पाई गई।
इसके बाद R21/Matrix-M वैक्सीन ने भी
परीक्षणों में 75% से अधिक प्रभावशीलता दिखाई और वर्ष 2024
के अंत तक यह कई देशों में उपलब्ध कराई गई। उम्मीद की जा रही है कि
आने वाले वर्षों में यह वैक्सीन मलेरिया उन्मूलन में क्रांतिकारी भूमिका निभाएगी,
विशेष रूप से अफ्रीका और एशिया के लिए।
विश्व मलेरिया दिवस 2025 की थीम और उसका महत्व
वर्ष 2025 के लिए WHO द्वारा घोषित विश्व मलेरिया दिवस की थीम है: "Empowering
communities, defeating malaria" – अर्थात "समुदायों को सशक्त बनाना, मलेरिया को हराना"।
यह विषय इस ओर संकेत करता है कि मलेरिया से जंग केवल सरकार या चिकित्सा संस्थानों
की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समुदायों की सहभागिता से ही संभव
है।
यदि गाँव, स्कूल, मोहल्ले, स्व-सहायता समूह, युवा
मंडल और आम नागरिक जागरूक होकर प्रयास करें, तो मलेरिया जैसी
बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इस थीम में नागरिक शक्ति को स्वास्थ्य
रक्षा का मूल आधार माना गया है।
स्कूल, युवा और समाज की भूमिका
विद्यालयों में बच्चों को मलेरिया से
संबंधित जानकारी देना, जागरूकता रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक,
पोस्टर प्रतियोगिता आदि के माध्यम से जागरूकता फैलाना बहुत उपयोगी
हो सकता है। युवाओं को स्वेच्छा से सफाई अभियान, घर-घर जाकर
जानकारी देना, और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा
करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
पंचायतों, महिला मंडलों और
स्थानीय संस्थाओं को भी इस अभियान का हिस्सा बनाना चाहिए, ताकि
यह केवल सरकारी कार्यक्रम न रह जाए, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन
बन सके।
निष्कर्ष
मलेरिया कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन इसे खत्म
करना आज भी एक बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, सरकारी
प्रयास, और जागरूकता अभियानों ने मलेरिया को काफी हद तक
नियंत्रित किया है, फिर भी इसे पूर्णतः समाप्त करने के लिए
हर व्यक्ति की सहभागिता आवश्यक है।
विश्व मलेरिया दिवस 2025 हमें यह अवसर देता है कि हम मलेरिया उन्मूलन की दिशा में अपने संकल्पों को दोहराएँ, समुदायों को सशक्त बनाएँ, और एक स्वास्थ्यप्रद, सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ाएँ।
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👌👌
ReplyDelete👌👌 bahut umda
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