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बच्चों में रचनात्मक लेखन का विकास

 

रचनात्मक लेखन बच्चों की भाषा, सोच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विस्तार देने वाला एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह न केवल उनकी कल्पनाशीलता को विकसित करता है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भरकर अपने विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में भी मदद करता है। इस दिशा में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वही वह पहला व्यक्ति होता है जो बच्चों को लेखन की दुनिया से परिचित कराता है और उनके अंदर छिपे रचनात्मकता के बीज को सींचता है।

शिक्षक का पहला कर्तव्य है कि वह कक्षा में ऐसा माहौल बनाए जिसमें बच्चे स्वतंत्र रूप से सोच सकें और अपनी बात कहने से न हिचकें। रचनात्मक लेखन कोई रटने या अंक प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति का एक स्वतंत्र साधन है। इसलिए शिक्षक को बच्चों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि वे जो भी लिखते हैं, वह मूल्यवान है, भले ही उसमें त्रुटियाँ हों।

बच्चों की कल्पनाशक्ति को जगाने के लिए शिक्षक कई रोचक तकनीकों का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे– कोई चित्र दिखाकर उस पर कहानी लिखवाना, ‘यदि मैं पक्षी होता...’ जैसे वाक्य देकर कल्पनाशील लेखन कराना, या किसी अधूरी कहानी को पूरा करने को कहना। इससे बच्चों का मन लेखन की ओर आकर्षित होता है और वे सोचने लगते हैं कि वे भी लेखक बन सकते हैं।

साथ ही, सहलेखन यानी समूह में मिलकर लिखने की प्रक्रिया भी बच्चों के लिए लाभकारी होती है। इससे विचारों का आदान-प्रदान होता है और वे एक-दूसरे से सीखते हैं। शिक्षक को बच्चों की रचनाओं को कक्षा की दीवारों पर सजाना चाहिए, जिससे उन्हें गर्व महसूस हो और आगे और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिले।

एक अच्छा शिक्षक केवल सही-गलत देखने वाला परीक्षक नहीं होता, बल्कि वह एक मार्गदर्शक होता है जो बच्चों को शब्दों के माध्यम से सपने देखने, सोचने और कहने की आज़ादी देता है। वह बच्चों को पुस्तकालय की ओर प्रेरित करता है, अच्छी कहानियाँ पढ़ने को देता है, और उन्हें अपने शब्दों में दुनिया को देखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

अंततः, रचनात्मक लेखन के विकास में शिक्षक एक बाग़बान की तरह होता है, जो बच्चों के भीतर की रचनात्मकता को खाद-पानी देकर उसे फलने-फूलने का अवसर देता है। यदि शिक्षक संवेदनशीलता, धैर्य और नवाचार के साथ काम करें, तो हर बच्चा अपने विचारों का एक सुन्दर संसार गढ़ सकता है।

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रचनात्मक कौशल के विकास के लिए बच्चों को कई रोचक गतिविधियाँ करायी जा सकती हैं :-

जैसे : चित्र देख कर कहानी बनाना, तीन या चार शब्दों के आधार पर पूरी कहानी लिखना, अधूरी कहानी को पूरा करना इत्यादि.

यहाँ एक गतिविधि दी जा रही है ; इसे एक शिक्षक अपने कक्षा में करवा सकते हैं :-

गतिविधि का नाम: "समाचार बनाओ – तुम हो पत्रकार!" 

उद्देश्य:

बच्चों में पर्यवेक्षण और विवरणात्मक लेखन की क्षमता को विकसित करना

रचनात्मक लेखन को यथार्थपरक सोच से जोड़ना

बच्चों में आत्मविश्वास और प्रस्तुतीकरण कौशल का विकास

कैसे कराएँ:

1.      बच्चों से कहें कि वे एक दिन के लिए पत्रकार बनें।

2.      उन्हें कोई एक घटना सोचने को कहें — यह वास्तविक या काल्पनिक हो सकती है।

3.      अब वे उस घटना पर आधारित एक संक्षिप्त समाचार रिपोर्ट लिखें – शीर्षक, क्या हुआ, कब हुआ, कहाँ हुआ, किसके साथ हुआ, और उसका क्या प्रभाव पड़ा?

उदाहरण:

शीर्षक: स्कूल के प्रांगण में बरसात में निकला इंद्रधनुष
रिपोर्ट:
आज दोपहर जब सभी बच्चे लंच कर रहे थे, तभी अचानक बारिश शुरू हो गई। सभी बच्चे भागकर बरामदे में पहुंचे। तभी रितु ने आकाश की ओर इशारा किया – एक सुंदर इंद्रधनुष दिख रहा था। बच्चों ने तालियाँ बजाईं और शिक्षक ने इसे ‘प्रकृति का जादू’ कहा।

विकल्प:

·         यह कार्य समूहों में भी कराया जा सकता है: हर समूह एक "न्यूज़ टीम" बनकर अलग-अलग समाचार बनाए।

·         बच्चों से समाचार पढ़वाना या एक छोटा "कक्षा समाचार बुलेटिन" बनवाना भी बहुत रोचक रहेगा।

यह गतिविधि बच्चों को तथ्य और कल्पना दोनों को मिलाकर रचनात्मक लेखन करने में मदद करती है।

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Ravi Raushan Kumar


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