राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की दिशा तय की है। इसमें प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर भाषा शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है, ताकि बच्चों में न केवल भाषाई कौशल का विकास हो, बल्कि वे संचार, सोचने और समस्याओं को सुलझाने में भी सक्षम हों। NEP 2020 के तहत भाषा शिक्षा का उद्देश्य बहुस्तरीय और समावेशी बनाना है, जिससे बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। यह नीति इस बात पर जोर देती है कि भाषा सीखने के साथ-साथ बच्चों को उनके आस-पास के समाज और संस्कृति से जोड़कर शिक्षा दी जाए, जिससे वे सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें।
भाषा के परिवेश का निर्माण
NEP
2020 में भाषा शिक्षा के लिए प्राथमिक कक्षाओं में बच्चे की
मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव दिया गया है। कक्षा
में बच्चों को ऐसी भाषा का उपयोग करने का अवसर मिलना चाहिए, जो
उनके दैनिक जीवन और परिवेश से जुड़ी हो। इसका उद्देश्य बच्चों को अपनी मातृभाषा या
स्थानीय भाषा में सहजता से संवाद करने और सोचने की क्षमता विकसित करना है। इस
संदर्भ में, कक्षा में चार्ट, चित्र,
कहावतें, लोकोक्तियाँ और कविता पंक्तियाँ प्रदर्शित करना बच्चों के भाषाई विकास में सहायक हो सकता है। NEP
2020 में बच्चों के सांस्कृतिक और भाषायी परिवेश को साकारात्मक रूप
से सम्मिलित करने की बात की गई है।
सुनने और बोलने की
गतिविधियाँ
NEP
2020 में यह भी सुझाया गया है कि प्रारंभिक शिक्षा में सुनने और
बोलने के कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसमें बच्चों को स्वतंत्र रूप से बोलने,
सुनने और संवाद करने के अवसर दिए जाएं। यह बच्चों को अपनी भावनाओं
और विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है। कहानी सुनाना, कविताएँ
गाना, संवाद अभ्यास और प्रश्नोत्तरी जैसी गतिविधियाँ इस प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त,
बच्चों को 'सुबह की बातचीत', 'क्या
देखा – क्या सुना' जैसी गतिविधियों से जोड़ा
जा सकता है, ताकि वे अपने विचारों को साझा कर सकें और
सामाजिक संपर्क में सहज हो सकें।
पठन कौशल का विकास
NEP
2020 में यह विचार रखा गया है कि प्राथमिक शिक्षा में बच्चों को "समझने
के लिए पढ़ना" सिखाया जाए, न कि केवल शब्दों को रटने की प्रक्रिया। बच्चों को चित्र पुस्तकों, बड़ी
किताबों (Big Books), शब्द कार्ड्स के माध्यम से पठन कौशल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस नीति में पठन के
लिए बच्चों को "साझा पठन" और "जोड़ी में पठन" जैसी गतिविधियों से जोड़ने का प्रस्ताव है, ताकि वे
आपस में सहयोग और समर्थन से पढ़ाई कर सकें। इसके साथ-साथ बच्चों को "स्वतंत्र
पठन" के लिए प्रेरित किया जाए, जहां वे अपनी रुचियों के अनुसार किताबें पढ़ें और अपनी पठन क्षमता को
बढ़ाएं।
लेखन कौशल का विकास
NEP
2020 में प्राथमिक शिक्षा में बच्चों के लेखन कौशल के विकास पर भी
जोर दिया गया है। यह नीति बच्चों को पहले बोलकर लिखने की प्रक्रिया में शामिल करने का
समर्थन करती है। बच्चों को "आज की मेरी बात", "मेरी पसंदीदा चीज", "चित्र देखकर कहानी
लिखो" जैसी गतिविधियों से लेखन में
सहजता और रुचि पैदा की जा सकती है। NEP 2020 में यह भी कहा
गया है कि बच्चों को कहानी लिखने, विचारों
को संरचित रूप में प्रस्तुत करने के अवसर
मिलने चाहिए, ताकि वे अपने विचारों को सही रूप से व्यक्त कर
सकें।
भाषा को अनुभव और संदर्भ से
जोड़ना
NEP
2020 में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण यह है कि भाषा शिक्षण को बच्चों
के जीवन के अनुभवों से जोड़ा जाए। बच्चों को अपने आस-पास की घटनाओं, त्योहारों, मेलों, खेल-कूद और
समाज के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर भाषा सिखाई जाए। स्थानीय संदर्भ, सामाजिक
संदर्भ और सांस्कृतिक संदर्भ को
शामिल करके भाषा शिक्षण को और अधिक सजीव और व्यावहारिक बनाया जा सकता है। उदाहरण
के लिए, कक्षा में स्थानीय परंपराओं, त्योहारों
और संस्कृतियों के बारे में चर्चा कराना
बच्चों को अपनी भाषा में सोचने और बात करने का अवसर देता है।
बहुभाषिकता का समावेश
NEP
2020 में यह प्रमुख रूप से कहा गया है कि बच्चों को कम से कम दो भाषाओं
में दक्ष बनाना चाहिए – एक स्थानीय भाषा और दूसरी, राष्ट्रीय
या वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल होने वाली भाषा। यह नीति बच्चों की बहुभाषिकता को
बढ़ावा देती है और उन्हें मातृभाषा, स्थानीय
भाषा, हिंदी और अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं में संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है। इससे बच्चों
में भाषाओं के प्रति सम्मान और रुचि विकसित होती है, और वे
सहजता से विभिन्न भाषाओं में सोच और संवाद कर पाते हैं।
समावेशी और भिन्नता-समर्थक
शिक्षण
NEP
2020 में समावेशिता पर जोर दिया गया है, और
इसका उद्देश्य यह है कि हर बच्चे को भाषा शिक्षा में समान अवसर मिलें।
विशेष रूप से, ध्यान देने योग्य बच्चों, जैसे
कि धीमी गति से सीखने वाले, विशेष आवश्यकता वाले, या कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले बच्चों के लिए अतिरिक्त ध्यान
दिया जाना चाहिए। शिक्षकों को चाहिए कि वे चित्र, संकेत, ऑडियो-विजुअल सामग्री का उपयोग करें
ताकि सभी बच्चों के लिए भाषा शिक्षण को सुलभ और आकर्षक बनाया जा सके।
रोचक और खेल-आधारित शिक्षण
NEP
2020 में यह स्पष्ट किया गया है कि प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षा का
तरीका रोचक
और खेल आधारित होना चाहिए। बच्चों को खेल, गीत,
नाट्य रूपांतर, और रोल-प्ले जैसी गतिविधियों के माध्यम से भाषा सिखाई जा सकती है। "शब्दों
की गेंद", "कहानी पूरी करो", "वर्णमाला का खज़ाना" जैसे खेल
बच्चों को भाषाई कौशल के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता, सोच
और सामाजिक कौशल को भी विकसित करने में मदद
करते हैं।
निरंतर और समग्र मूल्यांकन
NEP
2020 में यह बात कही गई है कि मूल्यांकन का तरीका निरंतर और समग्र होना
चाहिए, और यह बच्चों के समग्र विकास को
प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके तहत केवल लिखित परीक्षाएँ नहीं, बल्कि
मौखिक
मूल्यांकन, संवाद, चित्रांकन और
प्रस्तुति जैसे तरीकों से बच्चों का
मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यह मूल्यांकन उनके सोचने, बोलने
और लिखने की क्षमता का सही आकलन करने में
सहायक होता है।
समुदाय और अभिभावकों की
भूमिका
NEP
2020 में यह भी सुझाया गया है कि समुदाय और अभिभावकों को
भी भाषा शिक्षा में शामिल किया जाए। अभिभावकों को बच्चों के साथ कहानी सुनने, शब्दों
से परिचित कराने, और संवाद करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके अलावा, स्कूलों को
अभिभावकों और समुदाय के साथ मिलकर भाषा दिवस, पढ़ाई
के कार्यक्रम और संवाद कार्यशालाएँ आयोजित
करनी चाहिए।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने प्राथमिक
शिक्षा में भाषा शिक्षण को नए दृष्टिकोण और व्यापक दृष्टि से परिभाषित किया है।
इसके अनुसार, बच्चों के भाषाई विकास के लिए एक समावेशी,
अनुभव आधारित, और बहुभाषिक शिक्षा की आवश्यकता
है। यदि इन प्रयासों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह न
केवल बच्चों को भाषाई दक्षता प्रदान करेगा, बल्कि उनके
व्यक्तित्व और समाज में सकारात्मक योगदान के लिए भी तैयार करेगा। NEP 2020 के तहत भाषा शिक्षा का उद्देश्य न केवल बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाना है,
बल्कि उन्हें सोचने, संवाद करने और सामाजिक
जीवन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार करना है।
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Ravi Raushan Kumar
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