ICT का उपयोग मूल्यांकन में करने से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को नए अवसर प्राप्त होते हैं। ICT के अंतर्गत कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल एप्लिकेशन, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम, स्मार्ट बोर्ड, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑनलाइन क्विज़ टूल्स आदि संसाधन आते हैं जो मूल्यांकन को पारंपरिक तरीकों से हटकर अधिक व्यावहारिक और व्यक्तिगत बना देते हैं।
ICT आधारित मूल्यांकन से शिक्षकों को छात्रों के उत्तरों की त्वरित जांच, स्वचालित ग्रेडिंग, व्यक्तिगत फीडबैक, डेटा आधारित विश्लेषण और प्रत्येक विद्यार्थी की प्रगति को अलग-अलग ट्रैक करने की सुविधा मिलती है। साथ ही, दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए भी डिजिटल माध्यम से मूल्यांकन संभव हो जाता है, जिससे समावेशी शिक्षा को बल मिलता है। Google Forms, Kahoot, Quizizz, Microsoft Forms जैसे टूल्स द्वारा बहुविकल्पीय प्रश्नों, रिक्त स्थान भरने, True-False, लघु उत्तरीय प्रश्न जैसे मूल्यांकन प्रश्नों को डिज़ाइन कर मिनटों में छात्रों के उत्तर की जांच की जा सकती हैं।
मूल्यांकन केवल लिखित परीक्षा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि ICT के माध्यम से मौखिक प्रस्तुतीकरण, सह-पाठ्य गतिविधियाँ, वीडियो आधारित प्रदर्शन आदि के ज़रिए मूल्यांकन के नए आयाम जुड़े हैं। शिक्षक की भूमिका भी अब केवल परीक्षक की नहीं रही, बल्कि वह एक तकनीकी मार्गदर्शक, डेटा विश्लेषक, मूल्यांकन नियोजक और शिक्षार्थियों के सह-यात्री की बन गई है।
हालांकि, इस परिवर्तन के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं जैसे कि तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता की कमी, शिक्षकों का ICT में प्रशिक्षण की आवश्यकता, इंटरनेट की अनियमितता, और डेटा की सुरक्षा से जुड़ी समस्याएँ, लेकिन इनका समाधान ICT प्रशिक्षण, ऑफलाइन उपकरणों का प्रयोग, स्थानीय भाषा आधारित टूल्स और सुरक्षित प्लेटफॉर्म से संभव है। नई शिक्षा नीति 2020 में भी मूल्यांकन में ICT के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया गया है, जिसमें बहुआयामी, योग्यता आधारित और विद्यार्थी केंद्रित मूल्यांकन प्रणाली को बढ़ावा देने की बात की गई है। नीति यह भी कहती है कि डिजिटल मूल्यांकन से शिक्षकों को छात्र की पूरी सीखने की यात्रा पर नजर रखने में सहायता मिलती है, जिससे उन्हें समय पर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की जा सकती है। उदाहरणस्वरूप एक विद्यालय में सामाजिक विज्ञानं विषय के मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन क्विज़ आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों को तत्काल परिणाम और फीडबैक मिला, जिससे वे अपनी त्रुटियों को तुरंत समझ सके; एक अन्य विद्यालय में छात्रों ने अपने विज्ञान प्रोजेक्ट्स की पॉवरपॉइंट प्रस्तुति दी, जिससे उनकी रचनात्मकता और विषय की समझ का मूल्यांकन संभव हुआ। इस प्रकार ICT आधारित मूल्यांकन केवल शैक्षणिक उपलब्धियों का मापन नहीं करता, बल्कि छात्रों की सोचने, अभिव्यक्त करने और समस्या सुलझाने की क्षमताओं का भी आकलन करता है।
डिजिटल तकनीकों का समावेश शिक्षा में नवाचार को जन्म देता है और मूल्यांकन प्रक्रिया को छात्रों के लिए अधिक आकर्षक और उपयोगकर्ता अनुकूल बनाता है। अतः यह समय की आवश्यकता है कि शिक्षक ICT टूल्स को अपनाएं, उन्हें प्रयोग करने में दक्ष हों और मूल्यांकन को अधिक प्रभावशाली तथा छात्र-केंद्रित बनाएं। संस्थाओं और नीति-निर्माताओं को भी ICT आधारित मूल्यांकन को बढ़ावा देने हेतु संसाधनों की उपलब्धता, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सशक्त डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में काम करना चाहिए।
जब मूल्यांकन को ICT से जोड़ा जाता है, तो यह न केवल प्रक्रिया को सशक्त करता है, बल्कि छात्रों की सीखने की गति और गुणवत्ता दोनों को सुधारने में भी सहायक सिद्ध होता है। इस प्रकार, मूल्यांकन में ICT का प्रभावी और सृजनात्मक उपयोग 21वीं सदी के शैक्षिक परिवेश के अनुरूप अत्यंत आवश्यक एवं लाभकारी है।
यहाँ एक गूगल फॉर्म साझा की जा रही है जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों की ICT आधारित समझ के मूल्यांकन हेतु कुल 20 प्रश्न पूछे गये हैं. आप दिए गये लिंक की मदद से इस क्विज में भाग ले सकते हैं :-
https://bit.ly/myquiz2025
(C) रवि रौशन कुमार
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