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विश्व पर्यावरण दिवस का औचित्य — पर्यावरण संरक्षण की वैश्विक पुकार

 

विश्व पर्यावरण दिवस का औचित्य पर्यावरण संरक्षण की वैश्विक पुकार

1. प्रस्तावना

प्रकृति ने मानव को जीवन की हर आवश्यक वस्तु—वायु, जल, भूमि, वनस्पति, जीव-जंतु—उपलब्ध कराई है। लेकिन बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और उपभोगवादी प्रवृत्तियों ने पर्यावरण पर गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है। इन संकटों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है, और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इसका औचित्य केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं, बल्कि समूचे मानव समाज को प्रकृति के साथ अपने संबंधों की पुनः समीक्षा करने का अवसर है।

2. विश्व पर्यावरण दिवस की पृष्ठभूमि

विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी, जब स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित "मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन" में इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया गया। पहला आयोजन 1974 में हुआ, और तब से हर वर्ष एक थीम निर्धारित कर पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

3. यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?

(क) पर्यावरणीय जागरूकता का निर्माण:

विश्व पर्यावरण दिवस का प्रमुख उद्देश्य जनमानस में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी विकसित करना है। यह दिन लोगों को उनके जीवनशैली के पर्यावरणीय प्रभाव के प्रति सचेत करता है।

(ख) वैश्विक समस्याओं पर एकजुटता:

वायु प्रदूषण, जल संकट, जैव विविधता में ह्रास, ग्लोबल वॉर्मिंग, प्लास्टिक कचरा जैसे मुद्दे किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी की समस्या हैं। यह दिन सभी देशों को एक मंच पर लाकर समाधान हेतु सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करता है।

(ग) नीति-निर्माण को दिशा देना:

पर्यावरण दिवस के माध्यम से सरकारों और संगठनों को पर्यावरण के लिए नीतियाँ बनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने की प्रेरणा मिलती है।

(घ) प्रकृति के साथ सहअस्तित्व की शिक्षा:

यह दिन एक अवसर है कि हम अपने जीवन में प्रकृति के योगदान को स्वीकारें और उसके साथ संतुलन में जीने के तरीकों को अपनाएँ।

4. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता

आज पर्यावरणीय संकट हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन चुके हैं। कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और मौसम चक्र की अनियमितता कृषि, जल, स्वास्थ्य और निवास व्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
  • वायु प्रदूषण: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर वर्ष लाखों लोग वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से मरते हैं।
  • जल संकट: पृथ्वी का अधिकांश जल खारा है, और मीठे जल के स्रोत दिन-ब-दिन समाप्त होते जा रहे हैं।
  • प्लास्टिक प्रदूषण: महासागरों से लेकर पर्वतों तक प्लास्टिक की उपस्थिति अब गंभीर पारिस्थितिक खतरा बन चुकी है।
  • जैव विविधता का क्षय: प्रजातियों का तेजी से विलुप्त होना पारिस्थितिक तंत्र की अस्थिरता का संकेत है।

इन समस्याओं के समाधान हेतु जन-भागीदारी, सरकारों की प्रतिबद्धता और पर्यावरण-हितैषी नीतियों की ज़रूरत है, जिसे विश्व पर्यावरण दिवस प्रेरित करता है।

5. विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन: क्रियात्मक पहल

इस दिन विभिन्न स्तरों पर अनेक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं:

  • स्कूलों, कॉलेजों में रैली, पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध लेखन, पौधारोपण।
  • सामाजिक संस्थाओं द्वारा स्वच्छता अभियान, झीलों/नदियों की सफाई, प्लास्टिक मुक्त अभियान।
  • सरकारों द्वारा नीतिगत घोषणाएँ, नई योजनाओं की शुरुआत।
  • डिजिटल माध्यम से ऑनलाइन वेबिनार, प्रदर्शनियां, सामाजिक मीडिया अभियान।

इन क्रियाओं का उद्देश्य केवल एक दिन जागरूकता तक सीमित नहीं, बल्कि दीर्घकालीन व्यवहार में परिवर्तन लाना होता है।

6. यह दिवस बच्चों और शिक्षा जगत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

  • बच्चों में पर्यावरणीय मूल्य और संवेदनशीलता विकसित करना।
  • शिक्षा में स्थायित्वशील विकास (Sustainable Development) की अवधारणाओं को समावेश करना।
  • स्कूली पाठ्यक्रम में जल, वायु, मृदा, वन्यजीव संरक्षण संबंधी विषयों को बल देना।
  • बच्चों को "ग्रीन सिटिजन" के रूप में तैयार करना जो भविष्य में पृथ्वी के संरक्षक बनें।

7. पर्यावरण दिवस के माध्यम से समाज में अपेक्षित परिवर्तन

  • व्यक्तिगत स्तर पर: ऊर्जा की बचत, जल संरक्षण, पुनर्चक्रण (recycling), और एकल उपयोग प्लास्टिक से बचाव।
  • सामाजिक स्तर पर: सामुदायिक ग्रीन प्रोजेक्ट्स, पर्यावरणीय शिक्षा केंद्रों की स्थापना।
  • नीतिगत स्तर पर: कठोर पर्यावरणीय कानूनों का निर्माण और उनका अनुपालन।
  • वैश्विक स्तर पर: अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संयुक्त परियोजनाएँ जैसे पेरिस समझौता

8. ‘एक पृथ्वी, एक भविष्य’ की अवधारणा की ओर

विश्व पर्यावरण दिवस का औचित्य केवल वर्तमान संकट से लड़ना नहीं, बल्कि स्थायी भविष्य की परिकल्पना करना भी है। "Only One Earth" जैसे पिछले वर्षों के नारे इस तथ्य की ओर संकेत करते हैं कि हमारे पास पृथ्वी का कोई विकल्प नहीं है।

9. निष्कर्ष

विश्व पर्यावरण दिवस का औचित्य इस बात में निहित है कि यह दिन हमें चेतावनी, प्रेरणा और कार्यवाही—तीनों का अवसर देता है। यह केवल एक दिवस नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो हमें हमारे दैनिक जीवन के हर निर्णय में प्रकृति का ध्यान रखने की प्रेरणा देता है।

हमें यह समझना होगा कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारों या संगठनों की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक, हर छात्र, हर शिक्षक, हर परिवार की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। तभी हम आने वाली पीढ़ियों को एक हरित, स्वस्थ और सुरक्षित पृथ्वी सौंप सकेंगे।

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