डिजिटल युग और शिक्षक

वर्तमान समय डिजिटल क्रांति का युग है। आज जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो तकनीक से प्रभावित न हो, फिर शिक्षा उससे कैसे अछूती रह सकती है? आज शिक्षा पारंपरिक पुस्तक और ब्लैकबोर्ड तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इंटरनेट, स्मार्ट क्लास, डिजिटल उपकरण, वर्चुअल लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। इस परिवर्तन ने शिक्षक की पारंपरिक भूमिका को भी पूरी तरह नया आयाम दिया है। पहले जहाँ शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला माना जाता था, आज वह मार्गदर्शक, प्रेरक, नवोन्मेषक, कंटेंट क्रिएटर, तकनीकी सहयोगी और सीखने की प्रक्रिया का सुगमकर्ता बन चुका है।

डिजिटल युग वह समय है जिसमें जीवन की अधिकतर गतिविधियाँ इंटरनेट, डिजिटल उपकरणों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ऑनलाइन संचार माध्यमों द्वारा संचालित होती हैं। इस युग में जानकारी आसानी से उपलब्ध होती है, और शिक्षा अब कक्षा की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह क्लिक की दुनिया तक फैल गई है। सीखना अब कहीं भी, कभी भी और किसी से भी संभव हो गया है। इस परिवर्तन ने शिक्षक की भूमिका को और अधिक संवेदनशील और महत्वपूर्ण बना दिया है। अब शिक्षक केवल informa­tion देने वाला नहीं, बल्कि यह तय करने वाला है कि विद्यार्थी को क्या सीखना है, कैसे सीखना है और उसे जीवन में किस प्रकार लागू करना है।

डिजिटल युग ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सकारात्मक परिवर्तन किए हैं। स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल बोर्ड, ई-पुस्तकें, ऑनलाइन कक्षाएँ, वेबिनार, वीडियो लेक्चर और वर्चुअल लैब जैसे माध्यमों ने शिक्षा को अधिक रोचक, आकर्षक, सरल और अनुभवपरक बना दिया है। इसके साथ ही शिक्षा को लोकतांत्रिक स्वरूप भी मिला है क्योंकि आज हर विद्यार्थी अपनी गति और रुचि के अनुसार सीख सकता है। यही वजह है कि शिक्षक को अब व्यक्तिगत शिक्षण (Personalized Learning), सहयोगात्मक शिक्षण (Collaborative Learning), और स्व-निर्देशित शिक्षण (Self-directed Learning) की समझ और दक्षता विकसित करनी पड़ रही है।

डिजिटल तकनीक ने शिक्षक की भूमिका को और भी बहुआयामी बना दिया है। आज शिक्षक को केवल विषय विशेषज्ञ होना पर्याप्त नहीं, बल्कि उसे डिजिटल साधनों का भी कुशल उपयोगकर्ता होना चाहिए। उसे Google Classroom, PowerPoint, Zoom, Diksha, YouTube, E-content डिजाइनिंग और मूल्यांकन के डिजिटल साधनों का ज्ञान होना चाहिए। वह केवल पढ़ाने वाला नहीं, बल्कि शिक्षण सामग्री बनाने वाला कंटेंट डिज़ाइनर भी है, जो वीडियो, PPT, ई-किताब, ऑनलाइन क्विज़ और ब्लॉग जैसे माध्यमों से सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बना सकता है। अब शिक्षक का महत्त्व केवल भाषण देने में नहीं, बल्कि सीखने को अनुभवात्मक, प्रयोगात्मक और संवादात्मक बनाने में है।

डिजिटल युग में शिक्षक के सामने अनेक चुनौतियाँ भी हैं। हर शिक्षक को तकनीकी प्रशिक्षण नहीं मिल पाता, इंटरनेट की उपलब्धता या गति हमेशा समान नहीं रहती, डिजिटल उपकरणों की कमी भी बाधा बनती है। कई बार विद्यार्थी तकनीक के दुरुपयोग, ध्यान भटकाने या बिना उद्देश्य के इंटरनेट के प्रयोग के कारण शिक्षा से दूर हो जाते हैं। साथ ही इस युग ने शिक्षा से भावनात्मक जुड़ाव को भी प्रभावित किया है, क्योंकि तकनीक कभी भी मानवीय संबंधों और संवेदना का विकल्प नहीं बन सकती। ऐसे में शिक्षक को संतुलन बनाकर चलना होगा – आधुनिक तकनीक भी अपनानी होगी और मानवीय मूल्यों को भी सहेजकर रखना होगा।

डिजिटल युग में शिक्षक की तैयारी केवल तकनीकी कौशलों तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे नई शिक्षण पद्धतियों, नवाचारों, सुपर-स्किल्स और डिजिटल नैतिकता का भी ज्ञान होना चाहिए। उसे निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति अपनानी होगी, क्योंकि अब शिक्षक वह नहीं जो सब जानता हो, बल्कि वह है जो हमेशा सीखने को तैयार हो। उसे अपने विद्यार्थियों को केवल ‘क्या सीखना है’ नहीं बल्कि ‘कैसे सीखना है’ यह भी सिखाना होगा।

इस डिजिटल युग में वही शिक्षक आगे बढ़ सकता है जो तकनीक को अपनाए, उसे सृजनात्मक रूप से शिक्षा में प्रयोग करे और विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, सृजनात्मकता, सहयोग, संवाद कौशल, डिजिटल साक्षरता और नैतिक मूल्यों का विकास करे। शिक्षण का लक्ष्य केवल जानकारी देना नहीं बल्कि जीवन के लिए तैयारी करना होना चाहिए, और यही राह डिजिटल युग के शिक्षक की सबसे बड़ी भूमिका है।

अंत में कहा जा सकता है कि डिजिटल तकनीक शिक्षा का भविष्य है, लेकिन शिक्षक शिक्षा की आत्मा है। तकनीक साधन है, शिक्षक ही उसका सार्थक उपयोगकर्ता और दिशा देने वाला है। इसलिए डिजिटल युग में शिक्षक की भूमिका कम नहीं हुई है, बल्कि पहले से अधिक महत्वपूर्ण, सशक्त, रचनात्मक और प्रभावपूर्ण हो गई है। यही वह समय है जब शिक्षक स्वयं भी सीखते हुए समाज को एक नई, ज्ञानपूर्ण और जिम्मेदार दिशा प्रदान कर सकता है।


 ©  रवि रौशन कुमार 

 


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