पुस्तक समीक्षा

 पर्यावरणीय चुनौतियाँ : प्रबंधन और समाधान

लेखक : रवि रौशन कुमार

विषय : पर्यावरण अध्ययन / पर्यावरण संरक्षण


वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब पर्यावरणीय संकट मानव अस्तित्व के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है, ऐसे समय में पर्यावरणीय चुनौतियाँ : प्रबंधन और समाधान” जैसी पुस्तक का प्रकाशन अत्यंत प्रासंगिक, समयोचित और विचारोत्तेजक है। यह पुस्तक न केवल पर्यावरणीय समस्याओं की गहन पड़ताल करती है, बल्कि उनके व्यावहारिक समाधान और संरक्षण के उपाय भी प्रस्तुत करती है।

पुस्तक की अनुक्रमणिका स्वयं इस बात का प्रमाण है कि लेखक ने विषय को बहुआयामी दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास किया है। पुस्तक की भूमिका में संकट में प्रकृति की संकल्पना के माध्यम से पर्यावरणीय असंतुलन के मूल कारणों को स्पष्ट किया गया है। इसके पश्चात जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ, पहाड़ों पर संकट तथा जल संकट जैसे अध्याय वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर उभरती समस्याओं को वैज्ञानिक तथ्यों और सरल भाषा में सामने रखते हैं।

जहरीला का होता जलस्रोत, तेल रिसाव, प्लास्टिक प्रदूषण और नदियों के अस्तित्व पर संकट जैसे अध्याय पाठकों को यह समझने में मदद करते हैं कि आधुनिक विकास किस प्रकार प्रकृति के मूल संसाधनों को प्रभावित कर रहा है। विशेष रूप से प्लास्टिक प्रदूषण : खतरे की घंटी अध्याय आज के उपभोक्तावादी समाज के लिए एक सशक्त चेतावनी के रूप में सामने आता है।

पुस्तक की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें कानूनी एवं नीतिगत पहलुओं को भी समाहित किया गया है, जैसे ; जल-प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम-1974 तथा तेल और गैस संसाधनों का संरक्षण। इससे यह पुस्तक केवल सैद्धांतिक न रहकर व्यवहारिक और शैक्षणिक दोनों दृष्टियों से उपयोगी बन जाती है।

बिहार का राजकीय पक्षी गौरैया खतरे में तथा खतरे में कुशेश्वरस्थान पक्षी अभ्यारण्य जैसे अध्याय स्थानीय पर्यावरणीय संदर्भों को राष्ट्रीय विमर्श से जोड़ते हैं, जो पुस्तक को विशिष्ट बनाते हैं। इसी क्रम में जैव विविधता के संवेदनशील क्षेत्र (Hot Spots) और देशज प्रजातियों से जैव-विविधता का संरक्षण जैसे अध्याय संरक्षण-आधारित सोच को सुदृढ़ करते हैं।

पुस्तक का उत्तरार्ध नाभिकीय ऊर्जा, लॉकडाउन का पर्यावरण पर प्रभाव, पर्यावरण संरक्षण में जनचेतना, पर्यावरण शिक्षा की ज़रूरत जैसे अध्यायों के माध्यम से समाधान-केंद्रित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। विशेष रूप से जनभागीदारी और शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करना पुस्तक को भविष्यपरक बनाता है।

समग्र मूल्यांकन

यह पुस्तक विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों, पर्यावरण प्रेमियों एवं नीति-निर्माताओं; सभी के लिए समान रूप से उपयोगी है। भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और विषयानुकूल है। अध्यायों का क्रम तार्किक है तथा विषयवस्तु तथ्यात्मक, संतुलित और उद्देश्यपूर्ण है।

निष्कर्षतः, पर्यावरणीय चुनौतियाँ : प्रबंधन और समाधान” न केवल पर्यावरणीय संकटों का दस्तावेज़ है, बल्कि प्रकृति के साथ सहअस्तित्व की चेतना जागृत करने वाला एक सशक्त प्रयास भी है। 



 


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