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Showing posts from November, 2025

DIKSHA Courses नाम से नया एप : अब कोर्स ढूँढना हुआ और भी आसान

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DIKSHA Courses नाम से नया एप अगर आप एक शिक्षक हैं तो निश्चित रूप से DIKSHA मोबाइल एप से परिचित होंगे ही. इस मोबाइल एप्लीकेशन अथवा पोर्टल की सहायता से आपने अब तक कई ऑनलाइन कोर्स भी किये होंगे. यह एप न सिर्फ शिक्षकों के लिए अपितु छात्रों और अभिभावकों के लिए भी सामान रूप से उपयोगी है. ज्ञातव्य है कि  यह ऐप स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम के अनुरूप, विभिन्न भाषाओं में आकर्षक शिक्षण सामग्री जैसे वीडियो, ऑडियो और इंटरैक्टिव क्विज़ प्रदान करता है। इसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक सुलभ बनाना है और यह पूरी तरह से मुफ्त भी है.   वर्ष 2017 में इसकी शुरुआत हुई थी; तब से लेकर अब तक इसमें नये-नये सुधार किये जा रहे हैं. इस एप को यूजर फ्रेंडली बनाने को लेकर CIET-NCERT लगातार प्रयासरत है.   आपने महसूस किया होगा की कभी-कभी इस एप में कोर्स को ढूँढना मुश्किल होता है. यानि सामग्रियों की भीड़ में अपने पसंदीदा कोर्स को ढूंढने में अधिक मशक्कत करने की जरुरत पड़ती थी, यूजर के इसी समस्या को ध्यान रखते हुए NCERT ने एक अलग मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया है जिसका नाम है DIKSHA-Courses.         ...

NIPUN लक्ष्य

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   मिशन निपुण भारत लक्ष्य    

डिजिटल युग और शिक्षक

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वर्तमान समय डिजिटल क्रांति का युग है। आज जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो तकनीक से प्रभावित न हो , फिर शिक्षा उससे कैसे अछूती रह सकती है ? आज शिक्षा पारंपरिक पुस्तक और ब्लैकबोर्ड तक सीमित नहीं रह गई है , बल्कि इंटरनेट , स्मार्ट क्लास , डिजिटल उपकरण , वर्चुअल लर्निंग , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। इस परिवर्तन ने शिक्षक की पारंपरिक भूमिका को भी पूरी तरह नया आयाम दिया है। पहले जहाँ शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला माना जाता था , आज वह मार्गदर्शक , प्रेरक , नवोन्मेषक , कंटेंट क्रिएटर , तकनीकी सहयोगी और सीखने की प्रक्रिया का सुगमकर्ता बन चुका है। डिजिटल युग वह समय है जिसमें जीवन की अधिकतर गतिविधियाँ इंटरनेट , डिजिटल उपकरणों , कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ऑनलाइन संचार माध्यमों द्वारा संचालित होती हैं। इस युग में जानकारी आसानी से उपलब्ध होती है , और शिक्षा अब कक्षा की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही , बल्कि यह क्लिक की दुनिया तक फैल गई है। सीखना अब कहीं भी , कभी भी और किसी से भी संभव हो गया है। इस परिवर्तन ने शिक्षक की भूमिका को और अध...

ओडिशा और वाराणसी की मेरी यात्रा

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सकरी जंक्शन से सुबह साढ़े 6 बजे हमारी ट्रेन थी जयनगर–पुरी एक्सप्रेस। तारीख थी 15 नवंबर 2025। प्लेटफ़ॉर्म पर कोच की स्थिति का पता पहले से चल जाने से यह सुविधा हुई कि ट्रेन के रुकने के बाद अधिक दौड़-भाग नहीं करनी पड़ी। हमारी सीटें A-2 कोच में थीं। हम सपरिवार ट्रेन में सवार हुए और यहीं से शुरू हुई ओडिशा की ओर हमारी यात्रा। मेरे दोनों बच्चों की यह पहली रेल यात्रा थी, इसलिए उनका उत्साह देखते ही बनता था। वे पूरे समय कुछ न कुछ पूछते, इधर-उधर झाँकते और हर नए स्टेशन को देखकर रोमांचित हो उठते। उनकी चहल-कदमी और खुशी देखकर हम सबको भी खूब आनंद आ रहा था। विभिन्न स्टेशनों को पार करते हुए लगभग 21 घंटे की यात्रा के बाद हम अगले दिन सुबह साढ़े 3 बजे पुरी जंक्शन पहुँचे। हमने पहले ही तय कर लिया था कि हमें ऐसी जगह ठहरना है जहां से मंदिर भी नजदीक हो और समुद्र तट भी। हमने सी.टी. रोड में एक अच्छा सा कमरा बुक किया था। तब तक सुबह के 6 बज चुके थे। होटल के मैनेजर ने बताया कि ओडिशा दर्शन के लिए पास से ही टूरिस्ट बसें खुलती हैं। हमने बस में 4 सीटें बुक कर दीं और ठीक 7 बजे बस में बैठकर ओडिशा दर्शन के लिए निकल पड़े। ब...