प्राथमिक शिक्षक का स्थान केवल एक अध्यापक का नहीं , बल्कि एक सृजनकर्ता , मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत का होता है। जिस तरह नींव मजबूत हो तो इमारत लंबे समय तक टिकती है , उसी तरह अगर प्राथमिक शिक्षा मजबूत और सही दिशा में दी जाए , तो बच्चे का संपूर्ण विकास संभव होता है। इसलिए , यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि प्राथमिक शिक्षक ही बच्चों के जीवन की पहली और सबसे महत्वपूर्ण शिल्पकार होते हैं। उनके गुणों का असर बच्चे की सीखने की गति , उसकी रुचियों , उसकी सोचने की शैली और उसके जीवन मूल्यों पर गहराई से पड़ता है। इस आलेख में हम विस्तार से देखेंगे कि एक प्राथमिक शिक्षक में कौन-कौन से गुण अनिवार्य होते हैं और वे क्यों इतने महत्त्वपूर्ण हैं। सबसे पहला और सबसे आवश्यक गुण धैर्य है। प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे कोमल मन के होते हैं , उनकी सीखने की गति धीमी हो सकती है , वे बार-बार सवाल पूछ सकते हैं , शरारत कर सकते हैं , ध्यान भटका सकते हैं। ऐसे में एक अधीर या चिड़चिड़ा शिक्षक उनके मन में डर और असुरक्षा भर सकता है , जबकि धैर्यवान शिक्षक बार-बार सहजता से समझाता है , बच्चों की गति के अनु...
"Knowledge is Power"