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Showing posts from May, 2025

हिन्दी पत्रकारिता दिवस

पत्रकारिता केवल समाचारों का संकलन नहीं , बल्कि समाज का दर्पण है। इसका मूल उद्देश्य है – जनता के हित में निर्भीक , निष्पक्ष और सत्यपूर्ण जानकारी देना। जब पत्रकार अपने कलम से सत्ता से सवाल पूछता है , जब वह हाशिए पर खड़े व्यक्ति की आवाज़ बनता है , जब वह केवल सच्चाई के पक्ष में खड़ा होता है – तभी पत्रकारिता अपने असली अर्थ को प्राप्त करती है। हि न्दी पत्रकारिता दिवस हर वर्ष 30 मई को मनाया जाता है। यह दिन हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत की स्मृति में मनाया जाता है , जब भारत का पहला हिन्दी समाचार पत्र का प्रकाशन 30 मई 1826 को कलकत्ता (अब कोलकाता) से हुआ था। उदन्त मार्तंड हिन्दी भाषा का प्रथम समाचार पत्र था। इसका प्रकाशन 30 मई 1826 को कलकत्ता (अब कोलकाता) से हुआ था। इस पत्र का नाम संस्कृत के शब्दों से लिया गया है— ‘ उदन्त’ का अर्थ है समाचार , ‘ मार्तंड’ का अर्थ है सूर्य । अतः “उदन्त मार्तंड” का शाब्दिक अर्थ हुआ “ समाचार सूर्य” ।   " उदन्त मार्तंड" की स्थापना पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने की थी , जो कानपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे लेकिन कोलकाता में रहते थे। यह समाचार पत्...

मध्य विद्यालय के बच्चों को कंप्यूटर विज्ञान की जानकारी क्यों आवश्यक है?

21वीं सदी तकनीकी युग के रूप में जानी जाती है। आज का समाज दिन-प्रतिदिन डिजिटल होता जा रहा है और लगभग हर क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग बढ़ता जा रहा है— शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय, संचार, परिवहन, और यहां तक कि खेती जैसे परंपरागत क्षेत्रों में भी। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि बच्चे प्रारंभिक अवस्था से ही कंप्यूटर विज्ञान की मूलभूत जानकारी प्राप्त करें। विशेषकर मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए यह जानकारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यही वह उम्र होती है जब उनका बौद्धिक विकास तेजी से होता है और वे नई-नई अवधारणाओं को समझने और आत्मसात करने में सक्षम होते हैं। कंप्यूटर विज्ञान क्या है? कंप्यूटर विज्ञान केवल कंप्यूटर चलाना ही नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक विषय है जिसमें कंप्यूटर की कार्यप्रणाली, प्रोग्रामिंग, डेटा संरचना, समस्या समाधान, लॉजिक निर्माण, इंटरनेट और साइबर सुरक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण आयाम शामिल होते हैं। यह एक ऐसी प्रणाली है जो बच्चों को सोचने, समझने और नवाचार करने के लिए प्रेरित करती है। बच्चों के विकास में कंप्यूटर विज्ञान की भूमिका तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच क...

बिना कंप्यूटर लैब के बच्चों को कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा कैसे दें ? (मध्य विद्यालय के संदर्भ में)

आ ज के युग में कंप्यूटर ज्ञान प्रत्येक छात्र के लिए आवश्यक हो गया है, किंतु अनेक विद्यालयों में कंप्यूटर लैब की अनुपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। विशेषकर ग्रामीण या संसाधन-विहीन मध्य विद्यालयों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। ऐसे में शिक्षकों के सामने यह प्रश्न उठता है कि बिना लैब और उपकरणों के कंप्यूटर की शिक्षा कैसे दी जाए। इसका समाधान पाठ्यपुस्तक आधारित शिक्षण और नवाचार से संभव है। सबसे पहले, शिक्षक को स्वयं कंप्यूटर की मूलभूत अवधारणाओं जैसे कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, इनपुट-आउटपुट डिवाइस, ऑपरेटिंग सिस्टम, टाइपिंग, और इंटरनेट की बुनियादी जानकारी को भली-भांति समझना आवश्यक है। उसके बाद वे पाठ्यपुस्तक की सहायता से इन अवधारणाओं को छात्रों को सरल भाषा और स्थानीय उदाहरणों के माध्यम से समझा सकते हैं। उदाहरण के लिए, CPU को 'दिमाग' और मॉनिटर को 'आंख' के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। चित्रों का उपयोग इस शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बना सकता है। कंप्यूटर की पाठ्यपुस्तकों में छपे चित्रों को ध्यानपूर्वक दिखाकर छात्रों को उनके कार्य और उपयोग समझाना चाहिए। यदि संभव हो तो श...

अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस

  In its resolution  A/RES/55/201   dated 8 February 2001, the United Nations General Assembly proclaimed 22 May as the International Day for Biological Diversity to increase understanding and awareness of biodiversity issues. This date commemorates the adoption of the text of the Convention on Biological Diversity (CBD) on 22 May 1992.  अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस: वर्ष 2000 में  संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembl-UNGA)  ने आधिकारिक तौर पर 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस घोषित किया। जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on Biological Diversity- UNCBD)  22 मई 1992  को अपनाया गया था। UNCBD जैवविविधता के संरक्षण के लिये  कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है। भारत इस संधि का एक पक्षकार है  और इसने  जैवविविधता अधिनियम,  2002 लागू किया है। जैवविविधता शब्द  एक अवधारणा के रूप में पहली बार  वर्ष 1985 में वाल्टर जी. रोसेन  द्वारा दिया गया, जिसमें  पौधों, बैक्...

Google फ़ॉर्म कैसे बनायें ?

  Google फ़ॉर्म, Google का एक मुफ़्त ऑनलाइन टूल है जो उपयोगकर्ताओं को फ़ॉर्म, सर्वेक्षण और क्विज़ बनाने के साथ-साथ फ़ॉर्म को सहयोगात्मक रूप से संपादित करने और अन्य लोगों के साथ साझा करने की अनुमति देता है। शिक्षक कक्षा की शुरुआत में अपने छात्रों का मूल्यांकन करने और पहले से मौजूद ज्ञान का आकलन करने के लिए Google फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, छात्रों और अभिभावकों को फीडबैक देने और उनसे फीडबैक प्राप्त करने के लिए Google फॉर्म का उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह, छात्र अपने स्वयं के सीखने का आकलन करने और सीखने के लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ अपने शोध परियोजनाओं के लिए डेटा एकत्र करने के लिए Google फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।   Google फ़ॉर्म पर सामग्री बनाने, एक्सेस करने और साझा करने में सक्षम होने के लिए आपको Google में साइन इन करना होगा। Google उपयोगकर्ताओं के लिए आरएसवीपी, पार्टी आमंत्रण, ईवेंट फीडबैक और पाठ्यक्रम मूल्यांकन सहित कई पूर्व-डिज़ाइन किए गए टेम्पलेट प्रदान करता है। यदि आप अपना स्वयं का Google फ़ॉर्म डिज़ाइन करना चाहते हैं, तो आप रिक्त टेम्पलेट का चयन क...

मूल्यांकन में ICT का प्रयोग

शिक्षा प्रणाली में मूल्यांकन एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि शिक्षार्थियों ने कितना सीखा, उनकी समझ किस स्तर की है, और किन क्षेत्रों में उन्हें और सुधार की आवश्यकता है। जैसे-जैसे हम डिजिटल युग में आगे बढ़ रहे हैं, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, विशेषतः मूल्यांकन की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, समावेशी, पारदर्शी और सुलभ बनाया है।  ICT का उपयोग मूल्यांकन में करने से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को नए अवसर प्राप्त होते हैं। ICT के अंतर्गत कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल एप्लिकेशन, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम, स्मार्ट बोर्ड, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑनलाइन क्विज़ टूल्स आदि संसाधन आते हैं जो मूल्यांकन को पारंपरिक तरीकों से हटकर अधिक व्यावहारिक और व्यक्तिगत बना देते हैं।  ICT आधारित मूल्यांकन से शिक्षकों को छात्रों के उत्तरों की त्वरित जांच, स्वचालित ग्रेडिंग, व्यक्तिगत फीडबैक, डेटा आधारित विश्लेषण और प्रत्येक विद्यार्थी की प्रगति को अलग-अलग ट्रैक करने की सुविधा मिलती है। साथ ही, दूरस्थ या ग्रामी...

प्राथमिक स्तर पर भाषा शिक्षा के लिए किए जाने वाले प्रयास

  राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( NEP) 2020 ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की दिशा तय की है। इसमें प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर भाषा शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है , ताकि बच्चों में न केवल भाषाई कौशल का विकास हो , बल्कि वे संचार , सोचने और समस्याओं को सुलझाने में भी सक्षम हों। NEP 2020 के तहत भाषा शिक्षा का उद्देश्य बहुस्तरीय और समावेशी बनाना है , जिससे बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। यह नीति इस बात पर जोर देती है कि भाषा सीखने के साथ-साथ बच्चों को उनके आस-पास के समाज और संस्कृति से जोड़कर शिक्षा दी जाए , जिससे वे सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। भाषा के परिवेश का निर्माण NEP 2020 में भाषा शिक्षा के लिए प्राथमिक कक्षाओं में बच्चे की मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव दिया गया है। कक्षा में बच्चों को ऐसी भाषा का उपयोग करने का अवसर मिलना चाहिए , जो उनके दैनिक जीवन और परिवेश से जुड़ी हो। इसका उद्देश्य बच्चों को अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में सहजता से संवाद करने और सोचने की क्षमता विकसित करना है। इस संदर्भ में , कक्षा में चार्ट ...

टैगोर के अनुसार शिक्षा का अर्थ और उद्देश्य

  यद्यपि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शिक्षा के उद्देश्यों की किसी भी स्थान पर पृथक रूप से चर्चा नहीं की है तथापि उनकी लेखों में शिक्षा के उद्देश्य से सम्बन्धित उनके विचार प्राप्त होते हैं। टैगोर ( Tagore)  ने शिक्षा शब्द का अर्थ व्यापक अर्थ में लिया है ,  उन्होंने अपनी पुस्तक  'Personality'  में लिखा है "सर्वोत्तम शिक्षा वही है ,  जो सम्पूर्ण सृष्टि से हमारे जीवन का सामंजस्य स्थापित करती है।" " The highest Education is that which make's in our life harmony with all existence."  सम्पूर्ण दृष्टि से टैगोर का अभिप्राय है संसार की चार और अचर जड़ और चेतन सजीव ओर निर्जीव सभी वस्तुएँ। इन वस्तुओं से हमारे जीवन का सामंजस्य तभी हो सकता है जब हमारी समस्त शक्तियाँ पूर्ण रूप से विकसित होकर ,  उच्चतम बिन्दु पर पहुँच जायें इसी को टैगोर ने पूर्ण मनुष्यत्व ( surplus in man)  कहा है। शिक्षा का कार्य है ,  हमें इस स्थिति में पहुँचाना। इस दृष्टिकोण से टैगोर के अनुसार शिक्षा विकास की प्रक्रिया है। वह मनुष्य का शारीरिक ,  बौद्धिक ,  आर्थिक ,  व्यावसायि...

प्रेस की स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति: एक विश्लेषण

प्रेस या मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। यह वह ताकत है, जो सत्ता के अन्य तीन स्तम्भों-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका-पर निगरानी रखती है, उनके कामकाज की जानकारी जनता तक पहुँचाती है, और नागरिकों को अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाती है। प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ है कि पत्रकार और मीडिया संस्थान बिना किसी सरकारी दबाव, सेंसरशिप या धमकी के अपने विचार और समाचार प्रस्तुत कर सकें। आज, जब विश्व भर में सूचना का प्रवाह तीव्र हुआ है, तब प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। हाल के वर्षों में, प्रेस की स्वतंत्रता के संदर्भ में विश्व का परिदृश्य चिंताजनक रहा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) जैसी संस्थाएँ हर वर्ष प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करती हैं, जो यह दिखाता है कि किस देश में पत्रकार किस हद तक स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं। 2024 के रिपोर्ट्स के अनुसार, केवल लगभग 30% देशों में मीडिया अपेक्षाकृत स्वतंत्र और सुरक्षित है। नॉर्वे, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड और आयरलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई और यूरोपीय देश लगातार शीर्ष स्थानों पर ...